https://youtu.be/LgeGcP17EAA
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हमें “खुशी” तभी मिल सकती है जब हम उसका पीछा करना बंद कर दें, या धारना कि मुझे एक्स वाई जेड मिलने या हासिल करने पर खुशी होगी। दोषपूर्ण है हर तरह से एक्स वाई जेड का पीछा करें ,लेकिन अपनी खुशी को इस पर निर्भर ना होने दें यदि आप आकाश को पाना चाहते हैं तो बादलों के लिए व्यवस्थित ना हो यदि हम हर वक्त सर्वोच्च सत्य चाहते हैं तो किसी भी विश्वास प्रणाली के लिए समझौता ना करें ।
हमें अपनी आत्मा को परम ज्ञान से शुद्ध करने और श्रद्धा से लबालब करने हैं, तब हम वैसे ही देख पाएंगे जैसे स्वच्छ जल से भरे पात्र में चंद्रमा का प्रतिबिंब दिखाई देता है।
कर्म उन लोगों से बदला लेगा जिनको हमने चोट पहुंचाए हैं हम कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं बस भूल जाओ माफ कर दो और आगे बढ़ो।
मैं पहले? परिवार पहले? देश पहले? मानवता पहले?
नहीं अपनी आत्मा को हमेशा पहले रखें, तब हम अपना परिवार देश और मानवता निश्चित रूप से हमारे हर काम से लाभान्वित होंगे।
जब हम स्वयं को खो देते हैं तो हम देवताओं की कृपा प्राप्त करते हैं, नियमित रूप से कुछ ऐसा हमें पढ़ने जिससे हम अपना सांसारिक अस्तित्व खो दें या कुछ सरल हो सकता है जैसे अपने प्रिय जनों की आंखों में देखना या कुछ ऐसा करना जो आपको आंतरिक संतुष्टि देता है अगर आसमान में कोई सुंदर इन्द्रधनुष🌈 दिखाई दे तो हम उसे कपड़े की तरह पाने की कोशिश ना करें…
हम बस उसे देखते रहे इसी तरह ना तो हम अपने मन में उबाल रहे उन रंगीन विचार से प्रभावित होने हैं और ना ही उनका दमन करें बस उन्हें देखते रहे ना तो दूसरों की उम्मीद पर खरा उतरने की कोशिश करें और ना ही उनसे उम्मीद रखें ।
तब हम हमेशा खुश और शांत रह सकते हैं ।
जब हम किसी स्थिति में कूदने की बहुत इच्छा हो तो चुप रहे और देखें कि यह कैसे काम करता है। बाद में हमें एहसास हुआ कि हम चुप रह कर खुद को बड़ी शर्मिंदगी से बचा लिया। परम सत्य सिर्फ एक ही है और बहुत सरल क्योंकि जब यह हमारे साथ होगा तो हमें सभी ब्राह्मणों को दूर कर देगा और उन सभी को एक ही बार में पिघला देगा यदि हम अपने भीतर के खालीपन को ढकने के लिए अन्य मनुष्य और जानवरों के प्रति सहानुभूति और प्रेम दिखाते हैं तो इससे सहानुभूति या प्रेम के रूप में नहीं गिना जाएगा।
यह भावनात्मक पलायन के रूप में गिना जाता है इसीलिए पहले खुद को वैसे ही प्यार करें जैसे खुद हो तब तुम सब के लिए प्रति सच्चा प्रेम उत्पन्न कर पाएंगे, अतीत में हमने चाहे कितनी भी बेवकूफ किया की हो हम अपने आप को क्षमा करें, स्वयं के प्रति सहानुभूति रखें खुद से प्रेम करें हम सिर्फ आने को देखकर अपनी प्यास नहीं बुझा सकते हमें इसे पीने की जरूरत है इसी तरह हम केवल मेरे शब्दों को पढ़कर आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते ।
उन पर विचार करने की जरूरत है। उनका अभ्यास करने की…
एक बार जब हम पढ़ना सीख जाते हैं तो हम शब्दों को कहीं भी लिखा हुआ पढ़ सकते ठीक उसी तरह एक बार जब हम ग्राम के माध्यम से देखना सीख जाते हैं तो हम खुद को कभी भी कहीं भी देख सकते हैं। हमारा दिमाग बड़ी दुनिया में हो रही चीजों को देखता रहता है ऐसा होने दें, और उसको अपना काम करने दें, लेकिन हम एक “आत्मा” हैं और हमारा काम है अपने दिमाग को देखना यह कभी नहीं भूलना चाहिए। जब हम किसी समस्या के लिए किसी पड़ोसी राजनेता या किसी अन्य को दोष देते हैं तो हम स्वीकार करते हैं, कि केवल वे ही समस्या का समाधान कर सकते हैं लेकिन सच तो यह है कि हम स्वयं सूर्य के नीचे बैठकर किसी भी समस्या से खुद को बचाने की क्षमता रखते हैं ,जब तक हमारे ह्रदय में परमपिता “सतगुरु” है हम कुछ भी नहीं खो सकते यदि इसके बाद भी हम कुछ खोते हैं तो वह इसके मूल्य को दोगुना कर देंगे, यह दुनिया रोटी का एक अंतहीन टुकड़ा है और हम इसके किनारे पर बैठे हुए बड़े से बड़े हिस्से को पाने की कोशिश कर रहे हैं, एक बार के लिए क्यों ना आराम से बैठकर उसने वाले का आनंद लें जो पहले से ही हमारे मुंह में है गुरुदेव कहते हैं मैंने तुम्हारे लिए दरवाजे को चौड़ा करके खोल रखा है लेकिन तुम देखो तुम दुख के कमरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हो ,हम सब उस दरवाजे को देखने से भी इनकार करते हैं जो उस घोसले से पढ़े हैं जिससे हमने अपने लिए बुना है।
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शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मीशन

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