
जी बिलकुल हमारी उम्र निश्चित होती है। उम्र से मतलब यह सांसों की गिनती से है, जितनी सांसें परमात्मा ने हमारे भाग्य में लिख दी है, उससे एक सांस भी हम कम या ज्यादा नही ले सकते।
यह समय से नही बंधा है, जैसे योगी लंबी सांस लेते और छोड़ते हैं, उससे उनका समय बढ़ जाता है। जैसे जो छोटी छोटी सांसें लेते हैं उनकी सांसें जल्दी खत्म होंगी ही, इसलिए गहरी और लंबी सांस लेने कहा जाता है। सामान्य अवस्था में चार या पांच सेकंड तक हम सांस लेकर छोड़ देते हैं, लेकिन उसे यदि लंबा खींचे दस से पंद्रह सेकंड तो आयु लम्बी हो जाती है। पर सांसें उतनी ही होंगी, जितनी मिली है।
हमारे कर्मो के आधार पर ही हमारी उम्र निश्चित कर दी जाती है कि हमें क्या क्या भोगना है और कौन कौन सी सीखें लेनी हैं। उसके अनुसार उम्र दी जाती है।