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एड़ी से मध्यप्रदेश का यत्नपूर्वक संपीडन करते हुए अपान वायु की बलपूर्वक धीरे-धीरे ऊपर की ओर खींचना चाहिए। इसे ही मूलबंध कहते हैं। यह बुढ़ापा एवं मृत्यु को नष्ट करता है।
मूलबंध के चमत्कार 🌻
मूलबंध के नित्य अभ्यास करने से अपान वायु पूर्णरूपेण नियंत्रित हो जाती है। उदर रोग से मुक्ति हो जाती है। मूलबंध का साधक निर्द्वद्व होकर वास्तविक स्वस्थ शरीर से आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करता है।
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मूल बंध कैसे करे ?🤷♀️
- आराम से कुर्सी या कुशन पर बैठकर शुरुआत करें।
- अपने कंधों को आराम दें और अपनी सांसों के प्रति सचेत रहे ।
- अब श्वास लें, सांस लेते हुए 5 गिनते हुए मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और गुदा की मांसपेशियों को सिकोड़ें।
- इस स्थिति में 10 सेकंड तक रहने का प्रयास करें।
मूलबंध में कौन से अंग का संचालन किया जाता है?
यहां प्रस्तुत है मूलबंध के बारे में जानकारी । गुदाद्वार को सर्वथा बंद कर देने को मूलबंध कहा जाता है। लाभ और प्रभाव- योग में मूलबंध के बहुत से फायदे बताए गए हैं। इस मुद्रा को करने से शरीर के अंदर जमा कब्ज का रोग समाप्त हो जाता है और भूख भी तेज हो जाती है।
सावधानी -🤷🏻♂️
इस आसन का अभ्यास स्वच्छ और हवादार स्थान पर बैठकर करना चाहिए। अगर आप पेट, फेंफड़े और गले के किसी भी गंभीर रोग से पीड़ित हो तो यह आसन बंध नहीं करें।
इसके लाभ-
🔴इससे गले, गुदा, पेशाब, फेंफड़े और पेट संबंधी रोग दूर होते
हैं।
🔴इसके अभ्यास से दमा, अति अमल्ता, अर्जीण, कब्ज,अपच आदि रोग दूर होते हैं। इससे चेहरे की चमक बढ़ती है।
🔴अल्सर कोलाईटिस रोग ठीक होता है और फेफड़े की दूषित
वायु निकलने से हृदय की कार्यक्षमता भी बढ़ती है।
🌹एक समय ऐसा आता है जो हमें एक समय ऐसा आता है ।जो हमें मूल बंध लगाने की जरूरत नहीं, सोचने मात्र से ही उर्जा ऊपर की ओर बढ़ने लगते हैं।🌹
शालिनी साही 🙏🏻
सेल्फ अवेकनिंग मिशन 🙏🏻
🙏🏻 धन्यवाद धन्यवाद