अद्वेतानंद जी महाराज
अध्यात्मिक सम्राट रूहानी शहंशाह श्री दादा गुरुदेव भगवान जी के परम पावन 178 वें अवतरण दिवस की लख लख बधाइयां। 🙏🏻🌹संसार को धर्म और ज्ञान से सत्य का मार्ग दिखाकर विश्व गुरु के रूप में पहचान रखने वाले भारत की यह पहचान साधू और सन्यासियों से है।
इसी महान संत में एक नाम स्वामी परमहंस “अद्वेतानंद” जी महाराज का नाम भी सामने आता है। जिन्होंने ज्ञान भक्ति के एक अलग पंथ को स्थापित किया। संसार को प्रकाशित करने का प्रयास किया है। छपरा के “दहियावा” में जन्मे स्वामी दयाल ने ज्ञान भक्ति के मार्ग पर चल कर देश दुनियां में ब्रह्म विद्यालय सह आश्रम की नींव रखी। कालांतर में आज सैकडों आश्रम में हजारों सन्यासी और करोड़ों गृहस्थ लोग इस पंथ से जुड़ कर ज्ञान और भक्ति के रास्ते अध्यात्म के गूढ़ ज्ञान को प्राप्त करने में जुटे है।
छपरा से निकला यह ज्ञान भक्ति का स्रोत छपरा और राज्यों की सीमा पार कर पाकिस्तान तक पहुंचा और वहां स्वामी सरकार ने ज्ञान को सबके सामने रखकर पाकिस्तान में ही समाधि ले लिया। वहीं से विस्तारित भक्ति ज्ञान वापस छपरा लाने में पंथ के भक्त एक बार जुटे है।
178 साल पहले रामनवमी तिथि को परमहंस दयाल अद्वेतानन्द महाराज का जन्म शहर के ही दहियावां टोला में एक ब्राहम्ण परिवार तुलसीराम पाठक के घर में हुआ था। तब अद्वेतानंद जी महाराज का नाम रामयाद रखा गया था। जन्म के आठ माह के बाद ही उनकी माता की मृत्यु हो गई थी। बच्चे की देखभाल के लिए रामयाद के पिता ने अपने दोस्त और गुरुभाई नरहरि प्रसाद श्रीवास्तव के घर रख दिया था। संयोग था कि नरहरि प्रसाद का एक माह के पुत्र की मृत्यु उसी दौरान हुई थी और उनकी पत्नी पुत्र शोक में थी।
नरहरि श्रीवास्तव के घर पर केदारघाट कशी के महान संत स्वामी जी का आना जाना था। छोटा बालक राम याद पर चार साल की उम्र में ही कशी घाट के स्वामी जी का गंभीर प्रभाव दिखने लगा था। दस साल के उम्र में रामयाद ने स्वामी जी से ज्ञान के विषय में सवाल पूछा था और ध्यान योग की विद्या सीख ली थी।
14 वर्ष की आयु में लाला नरहरि प्रसाद का निधन हो चूका था। तब पहुंचे स्वामी जी से रामयाद ने अपने को साधू होने की इच्छा बताई थी। तब स्वामी जी ने इस मार्ग को कठिन बताकर मना कर दिया। जिद करने पर मां के रहते ऐसा करने से रोक दिया था। 1863 में 17 वर्ष की आयु में पालन करने वाली मां का भी देहांत हो गया।🙏🏻🙏🏻 शालिनी साहि🙏🏻सेल्फ अवेकनिंग मिशन 🙏🏻 धन्यवाद