जी बिल्कुल! धन्यवाद और माफी प्रार्थना के जरिए हम जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। हम हमारे जीवन को एक नई दिशा दे सकते है। माफी और प्रार्थना हमारे बहुत से कर्म-बंधनो को काटती है। माफी और प्रार्थना हमारे आत्मकल्याण का एक बहुत बड़ा हाथियार है।
मनुष्य बहुत सी योनियों से भटककर आया हुआ है। मनुष्य ने अब-तक जानें-अंजाने में बहुत सी गलतियां की है। मनुष्य कुछ भूल गया है और कुछ उसे याद है। हर मनुष्य को चाहिए की वह हमेशा अपने गुरु भगवान की चरणों में बैठकर या मन ही मन अपनी आत्मा या परमात्मा से सच्चे मन से माफी और प्रार्थना करें। अपने जानें-अंजाने मे की हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
परमात्मा या अपने गुरु भगवान को कहना चाहिए कि, हे भगवन अब-तक जो हुआ सो हुआ। अब-तक जो हुआ वह हमारे अज्ञान के कारण हुआं है। अब आपकी, गुरुदेव की कृपा से हमें हमारी ग़लतीया दिख रही है, समझ में आ रही है। हम अज्ञानी थे, हम बालक है, हमे क्षमा करना।
परमात्मा से कहना चाहिए की, पिछे जो हुआ सो हुआ, आगे से मैं अपने हर कर्म में सावधान रहुंगी/ रहुंगा। दोबारा वह ग़लती न हो इसका खयाल रखुंगा। दोस्तों माफी और प्रार्थना से, क्षमा याचना से बहुत सी चीजें आसान हो जातीं हैं। इससे हमारे बहुत से कर्म कटते हैं। और प्रायश्चित में थोड़े से तप और सेवाभाव को भी अपनाना चाहिए।
प्रार्थना कही भी करों, अॉफलाइन करों या अॉनलाइन करों, लेकिन करों। परमात्मा और उनके आंख और कान हर जगह मौजूद हैं। वह हमे हरपल देख और सुन रहे है। दोस्तों जो भी करों सच्चे मन से करों, सच्चे मन से की हुई हर बात परमात्मा तक पहुंचतीं है।
हररोज मां पृथ्वी से माफी मांगे। अपने माता-पिता से माफी मांगे। अपनी आत्मा से माफी मांगे। अबतक मनुष्य जीवन का दुरुपयोग किया इसके लिए अपने सदगुरु चरणों में बैठकर माफी मांगे। और कहे उनसे की हे प्रभु क्षमा करना अज्ञान था इसलिए मनुष्य जीवन और उसका महत्व समझ नहीं आया। अब आप कृपा करों और परमात्मा से मेरे लिए प्रार्थना करों की,
मुझे अनन्य भक्ति की प्राप्ति हो।
मुझे आत्मज्ञान हो।
मुझे सबसे तोड़ो प्रभु।
मुझे श्रीचरणों से जोड़ों प्रभु।
मुझे परमात्मा से जोड़ों प्रभु।
हे प्रभु मैं शुद्रता से पार हो जाऊं।
मेरा सफ़र देहभाव से आत्मभाव तक और आत्मा से विश्वात्मा, परमात्मा तक का हो।
धन्यवाद!