अच्छे लोगों की परीक्षाएं ली जाती है, उन्हें प्रतिकुल परिस्थितियां, थोड़ी बहुत दुःखदायक परिस्थितियां दि जाती है। यह देखने के लिए की वे सचमुच अच्छे हैं? क्योंकि जो सचमुच अच्छे होते हैं, वे ज्ञानी होते हैं। सुख-दुख से पार होते हैं।

जीवन में ज्ञान लाइट की तरह होता है, और अज्ञान अंधेरे की तरह। लाइट में हम सबकुछ साफ़ साफ़ देख पाते हैं।‌ अभी हम लाइट में, मतलब ज्ञान में जी रहे हैं, या अभी भी हमारे भीतर अज्ञान अंधेरा बाक़ी है? इसके लिए भी परमात्मा की तरफ से अच्छे लोगों की परिक्षाएं ली जाती है।

जो अच्छे और सच्चे होते हैं, जो सर्वेश्वर के भक्त होते हैं, उन्हें संसार में समस्याएं तो आएंगी हीं। और जो संसार के भक्त हैं, उन्हें सर्वेश्वर जल्द समझ नहीं आता।

प्रपंच और परमार्थ यह दोनों बिल्कुल दो अलग चीजें हैं। यह गुढ़ रहस्यों का विषय है, यह गुरुकृपा से, अंतर्मुखता से समझ में आने वाले सब्जेक्ट हैं।

जब हम अपने भीतर उतरते हैं, परमात्मा के अत्यंत नजदीक पहुंचते हैं, तब हम खुद जान जाते हैं की परमात्मा हमारी परिक्षाएं क्यों ले रहें थें या लें रहें हैं। हमे केवल दुःख से छुड़ाने के लिए, संसार से अलिप्त निर्लिप्त रखने के लिए ही परमात्मा की तरफ से ऐसी परिस्थितियां दि जाती है।
इस संसार में जो भी होता है हमारे कल्याण के लिए ही होता है।

परमात्मा हमेशा अच्छे लोगों के जीवन में से व्यर्थ का सब हटा देने में लगे रहते हैं। उन्हें अपने और करीब खींच लाने में लगे रहते हैं। वें अच्छे लोगों के जीवन में ऐसी परिस्थितियां पैदा करते हैं कि उन्हें हरपल उनकी यानी परमात्मा की याद आवैं। और इसी में उन अच्छे लोगों की भलाई होती है।

हम सब जानते ही हैं कि, मां कुंती ने परमात्मा से इसलिए दुःख मांगे थें।‌ क्योंकि दुःख या प्रतिकूल परिस्थितियां ही परमात्मा की याद दिलाती है। लगभग लोग सुख या अनुकूलता में परमात्मा को भूल जाते हैं। परिक्षाओं के समय ही परमात्मा की तीव्र याद आती है, और हम उन्हें सच्चे ह्रदय से पुकारते हैं।

परमात्मा चाहते हैं कि हम उन्हें पुकारें, हम उन्हें हरपल याद करें। क्योंकि वह भी एक पिता है, और हम उनसे बिछड़े हुए हैं। परमात्मा हमसे बिछड़ना नहीं चाहते, वे चाहते हैं कि हम उनसे या वे हमसे भीतर से सदा जुड़े रहें।‌

जब-तक भौतिक सुख प्रिय है तब-तक परमात्मा नहीं मिलते। कुछ लोग अच्छे होने का, परमात्मा के भक्त होने का दावा करते हैं तो परमात्मा देखते होंगे की क्या यह सचमुच मेरा भक्त हैं? क्या सचमुच यह मुझ मायापती को चाहता हैं या इस के मन में अभी भी भौतिकता, माया को पाने की चाह है। जब-तक परिक्षाएं नहीं होंगी तब-तक आप इसमें पास हो या फेल पता कैसे चलेगा।

दुःख, परिक्षाएं, प्रतिकुल परिस्थितियां औषधि है, यह मनुष्य जीवन में औषधि का काम करते हैं। दुःख और परिक्षाएं, प्रतिकुल परिस्थितियां मनुष्य को मोह निद्रा से जगाते हैं, उसे भटकने नही देते।

दुःख और परिक्षाएं मनुष्य के विकास में सहायक होती हैं। जो अच्छे लोग हैं, परमात्मा उन्हें और अच्छा और विकसित बनाना चाहते हैं।

यह एक रहस्य हैं। जो लोग सच में अच्छे और सच्चे मन के हैं, जिनकी परिक्षाएं ली जाती है, परमात्मा उनसे प्रेम करते हैं। परमात्मा उन्हें “उर्ध्वगति” में ले जाना चाहते हैं। परमात्मा उनका कल्याण चाहते हैं। और इसलिए उन्हें संसार में एक मेहमान की तरह रखा जाता है।

पहले तो वह अच्छे लोग किसी से अटैच नहीं होते और हो गये तो परमात्मा की तरफ से ही उनका दिल तोड़ा जाता है। उन्हें ऐसी परिस्थितियां दि जाती है, उनके सामने ऐसी समस्याएं खड़ी कि जातीं हैं की उन्हें संसार से विरक्ति हो जाएं। क्योंकि वे यहां कुछ ही सालों के मेहमान है, यहां उनके लिए कुछ भी परमानेंट नहीं रहेगा।

जो लोग सच में अच्छे होते हैं, परमात्मा भी उन्हें प्रेम करते हैं। और परमात्मा जिन्हें प्रेम करते हैं, किसी अन्य चीजों को उनके और परमात्मा के बीच नहीं आने देते, इसे आप जान लो।

अगर आप सच में अच्छे हैं, मन के सच्चे हैं, तो बेशक आप परमात्मा के प्रिय हो। तब आप के और परमात्मा के बीच में जो भी चीज आएगी वह हटा दि जाएगी। चाहे वह कोई भी क्यों न हो।

आत्मज्ञान या परमात्मा का साक्षात्कार के राह में सुख दुःख, अनुकूलता-प्रतिकुलता, परिक्षाएं, अच्छाई-बुराई यह सब ऊपरी ऊपरी बाहरी चीजें होती हैं। जो लोग सच में अच्छे और अध्यात्मिक है, तो तब उनकी भीतरी अवस्था पता करने के लिए उन अच्छे लोगों की परिक्षाएं तो होंगी ही।
धन्यवाद!

अच्छे लोगों की परीक्षाएं ली जाती है, उन्हें प्रतिकुल परिस्थितियां, थोड़ी बहुत दुःखदायक परिस्थितियां दि जाती है। यह देखने के लिए की वे सचमुच अच्छे हैं? क्योंकि जो सचमुच अच्छे होते हैं, वे ज्ञानी होते हैं। सुख-दुख से पार होते हैं।

जीवन में ज्ञान लाइट की तरह होता है, और अज्ञान अंधेरे की तरह। लाइट में हम सबकुछ साफ़ साफ़ देख पाते हैं।‌ अभी हम लाइट में, मतलब ज्ञान में जी रहे हैं, या अभी भी हमारे भीतर अज्ञान अंधेरा बाक़ी है? इसके लिए भी परमात्मा की तरफ से अच्छे लोगों की परिक्षाएं ली जाती है।

जो अच्छे और सच्चे होते हैं, जो सर्वेश्वर के भक्त होते हैं, उन्हें संसार में समस्याएं तो आएंगी हीं। और जो संसार के भक्त हैं, उन्हें सर्वेश्वर जल्द समझ नहीं आता।

प्रपंच और परमार्थ यह दोनों बिल्कुल दो अलग चीजें हैं। यह गुढ़ रहस्यों का विषय है, यह गुरुकृपा से, अंतर्मुखता से समझ में आने वाले सब्जेक्ट हैं।

जब हम अपने भीतर उतरते हैं, परमात्मा के अत्यंत नजदीक पहुंचते हैं, तब हम खुद जान जाते हैं की परमात्मा हमारी परिक्षाएं क्यों ले रहें थें या लें रहें हैं। हमे केवल दुःख से छुड़ाने के लिए, संसार से अलिप्त निर्लिप्त रखने के लिए ही परमात्मा की तरफ से ऐसी परिस्थितियां दि जाती है।
इस संसार में जो भी होता है हमारे कल्याण के लिए ही होता है।

परमात्मा हमेशा अच्छे लोगों के जीवन में से व्यर्थ का सब हटा देने में लगे रहते हैं। उन्हें अपने और करीब खींच लाने में लगे रहते हैं। वें अच्छे लोगों के जीवन में ऐसी परिस्थितियां पैदा करते हैं कि उन्हें हरपल उनकी यानी परमात्मा की याद आवैं। और इसी में उन अच्छे लोगों की भलाई होती है।

हम सब जानते ही हैं कि, मां कुंती ने परमात्मा से इसलिए दुःख मांगे थें।‌ क्योंकि दुःख या प्रतिकूल परिस्थितियां ही परमात्मा की याद दिलाती है। लगभग लोग सुख या अनुकूलता में परमात्मा को भूल जाते हैं। परिक्षाओं के समय ही परमात्मा की तीव्र याद आती है, और हम उन्हें सच्चे ह्रदय से पुकारते हैं।

परमात्मा चाहते हैं कि हम उन्हें पुकारें, हम उन्हें हरपल याद करें। क्योंकि वह भी एक पिता है, और हम उनसे बिछड़े हुए हैं। परमात्मा हमसे बिछड़ना नहीं चाहते, वे चाहते हैं कि हम उनसे या वे हमसे भीतर से सदा जुड़े रहें।‌

जब-तक भौतिक सुख प्रिय है तब-तक परमात्मा नहीं मिलते। कुछ लोग अच्छे होने का, परमात्मा के भक्त होने का दावा करते हैं तो परमात्मा देखते होंगे की क्या यह सचमुच मेरा भक्त हैं? क्या सचमुच यह मुझ मायापती को चाहता हैं या इस के मन में अभी भी भौतिकता, माया को पाने की चाह है। जब-तक परिक्षाएं नहीं होंगी तब-तक आप इसमें पास हो या फेल पता कैसे चलेगा।

दुःख, परिक्षाएं, प्रतिकुल परिस्थितियां औषधि है, यह मनुष्य जीवन में औषधि का काम करते हैं। दुःख और परिक्षाएं, प्रतिकुल परिस्थितियां मनुष्य को मोह निद्रा से जगाते हैं, उसे भटकने नही देते।

दुःख और परिक्षाएं मनुष्य के विकास में सहायक होती हैं। जो अच्छे लोग हैं, परमात्मा उन्हें और अच्छा और विकसित बनाना चाहते हैं।

यह एक रहस्य हैं। जो लोग सच में अच्छे और सच्चे मन के हैं, जिनकी परिक्षाएं ली जाती है, परमात्मा उनसे प्रेम करते हैं। परमात्मा उन्हें “उर्ध्वगति” में ले जाना चाहते हैं। परमात्मा उनका कल्याण चाहते हैं। और इसलिए उन्हें संसार में एक मेहमान की तरह रखा जाता है।

पहले तो वह अच्छे लोग किसी से अटैच नहीं होते और हो गये तो परमात्मा की तरफ से ही उनका दिल तोड़ा जाता है। उन्हें ऐसी परिस्थितियां दि जाती है, उनके सामने ऐसी समस्याएं खड़ी कि जातीं हैं की उन्हें संसार से विरक्ति हो जाएं। क्योंकि वे यहां कुछ ही सालों के मेहमान है, यहां उनके लिए कुछ भी परमानेंट नहीं रहेगा।

जो लोग सच में अच्छे होते हैं, परमात्मा भी उन्हें प्रेम करते हैं। और परमात्मा जिन्हें प्रेम करते हैं, किसी अन्य चीजों को उनके और परमात्मा के बीच नहीं आने देते, इसे आप जान लो।

अगर आप सच में अच्छे हैं, मन के सच्चे हैं, तो बेशक आप परमात्मा के प्रिय हो। तब आप के और परमात्मा के बीच में जो भी चीज आएगी वह हटा दि जाएगी। चाहे वह कोई भी क्यों न हो।

आत्मज्ञान या परमात्मा का साक्षात्कार के राह में सुख दुःख, अनुकूलता-प्रतिकुलता, परिक्षाएं, अच्छाई-बुराई यह सब ऊपरी ऊपरी बाहरी चीजें होती हैं। जो लोग सच में अच्छे और अध्यात्मिक है, तो तब उनकी भीतरी अवस्था पता करने के लिए उन अच्छे लोगों की परिक्षाएं तो होंगी ही।
धन्यवाद!

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