बोल बोल कर, सेल्फ टॉक के जरिए हम अपने अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग कर सकते हैं। सेल्फ टॉक यानी खुद से ही बातचीत करना। आइने में देखकर या दिन भर चलते फिरते अपनी आप से सकारात्मक शब्द में बोलना।
जैसे की मेरा नाम संजीव है, तो मैं यह कहुंगा की,
संजीव तुम बहुत बुद्धिमान हो, तुम यह कर सकते हो।
संजीव तुम्हारे भीतर निरंतरता है, तुम्हारे लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं।
संजीव तुम जितने के लिए बनें हो, तुम्हे एक आदर्श स्थापित करना है।
संजीव तुम एक बहुत अच्छे इंसान हो, तुम्हारे भीतर दया, क्षमा, सहिष्णुता, साहस, धैर्य, सकारात्मक सोच सबकुछ तो है।
तुम विजेता हो।
एक ही बात को बार-बार रिपीट करो। जीवन को बदलने के लिए, अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग के लिए यह जरूरी है। इस तरह से खुद से बातचीत करने से भीतर का पैटर्न बदलीं होता है। अवचेतन मन प्रोग्रामिंग होती है।
इसे सकारात्मक आत्मचर्चा या अंतरिक भाषण भी कहते हैं। सकारात्मक शब्दों को बार-बार रिपीट करों और अपने अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग करो।
धन्यवाद!