ज्ञान और अनुभव दोनों भी महत्वपूर्ण है। बस दोनों में थोड़ा-सा फर्क है।

अनुभव ज्ञान का ही विकास है।
बीना अनुभव ज्ञान अधूरा है।

जैसे किसी चीज की गुड़, बेटर और बेस्ट स्थिति होती है न। ठीक वैसे ही ज्ञान, अनुभव, व साक्षात्कार का होता है।

उस चीज का ज्ञान मतलब उस चीज की जानकारी। उस चीज का अनुभव मतलब उसकी वास्तविकता से परिचय। उस चीज का साक्षात्कार मतलब उस चीज में पारंगतता।

ज्ञान हमेशा बाहर से आता है और उसी ज्ञान का अनुभव भीतर से घटित होता है।
अनुभव व्यक्तिगत विषय है।
अनुभव वास्तविकता है।

ज्ञान में भी सामान्य ज्ञान अलग होता है और सर्वोच्च ज्ञान अलग।

सर्वोच्च ज्ञान व उसके अनुभव अलग है। सामान्य ज्ञान और उसके अनुभव अलग होते है।

ज्ञान यानी मनुष्य की बुद्धि की विकसित स्थिति।

विकसित बुद्धि ने कुछ अच्छा ग्रहण किया है, वह है ज्ञान। और फिर वहीं ज्ञान अनुभव में प्रत्यक्ष होता है।

केवल ज्ञान में कभी कभी कन्फ्यूजन रहतीं हैं और अनुभव में अडिग विश्वास।

जैसे हमे कोई किसी ज्ञान के आधार पर नोकरी पर रखता है। आजकल नोकरी से पहले इंटर्नशिप होती है ना, वह उस ज्ञान के अनुभव के लिए होती है। इंटर्नशिप के बाद हम नोकरी के लिए पक्के होते हैं, मतलब वह उस चीज का साक्षात्कार हो गया।

ज्ञान एक विकसित समझ है और अनुभव उसकी वास्तविकता।

केवल ज्ञान सुखा है, कच्चा है।
केवल ज्ञान होना महत्वपूर्ण नहीं है, उसका अनुभव होना महत्वपूर्ण है।

केवल ज्ञान कभी कभी भ्रम पैदा करता है, और अनुभव से हम भ्रम से बाहर आंतें है, वास्तविकता में आंतें है।
धन्यवाद!

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