सतगुरु द्वारा दिए गए नामदान का आध्यात्मिक, मानसिक और सांसारिक जीवन में गहरा प्रभाव पड़ता है। यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक माध्यम होता है, जिससे व्यक्ति मोह-माया से मुक्त होकर सच्चे आनंद और शांति का अनुभव करता है। इसे दोहों और श्लोकों द्वारा समझाया जा सकता है:

  1. दोहे द्वारा समझाना:
    (1) तुलसी साहब
    “नाम बिना कछु सार न देखा, झूठा माया का पसारा।
    नाम लिए भवसागर तरिये, नाम बिना डूबत संसारा॥”

अर्थ: नाम बिना सब कुछ निरर्थक है, यह संसार मात्र एक माया का भ्रम है। सतगुरु द्वारा दिया गया नाम ही इस भवसागर से पार कर सकता है।

(2) कबीरदास जी
“सतगुरु सोई जाणिए, जे जीवन पद देय।
लोक-वेध ते न्यारा करे, शब्द नाम रस देय॥”

अर्थ: सच्चा सतगुरु वही है, जो अमर पद प्रदान करे, सांसारिक मोह से अलग करे और नाम की मिठास प्रदान करे।

  1. श्लोक द्वारा समझाना:
    (1) श्रीमद्भगवद्गीता (6.47)
    “योगिनामपि सर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना।
    श्रद्धावान्भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः॥”

अर्थ: सभी योगियों में श्रेष्ठ वही है जो श्रद्धा के साथ मुझमें लीन होकर भक्ति करता है, अर्थात् सतगुरु के दिए नाम का जप करता है।

(2) गुरु गीता
“गुरुमंत्रं न जानाति मोक्षं लभते क्वचित्।
गुरोः कृपया मुक्तिः गुरोः कृपया परम्॥”

अर्थ: जो गुरु-मंत्र को नहीं जानता, वह मोक्ष नहीं प्राप्त कर सकता। केवल गुरु की कृपा से ही उच्चतम मोक्ष संभव है।

नामदान के लाभ:
आध्यात्मिक शांति – नाम जप से मन शांत होता है और आत्मा परमात्मा से जुड़ती है।
कर्मबंधन से मुक्ति – सतगुरु का नाम भवसागर से पार कराता है।
सकारात्मक ऊर्जा – मन और शरीर में सकारात्मकता आती है।
मोक्ष प्राप्ति – पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की ओर बढ़ता है।

निष्कर्ष:
सतगुरु का दिया हुआ नाम अनमोल होता है, जो व्यक्ति को सांसारिक दुखों से मुक्त कराकर उसे ईश्वर से जोड़ने का कार्य करता है। इसलिए, श्रद्धा और प्रेम से नाम जप करना चाहिए।

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