
कर्मो का फल हर किसी को हर हाल में भुगतना होता है। लेकिन, उसमें अगर माफी मांग ली जाएं, प्रायश्चित किया जाए और पूर्ण सच्चे ईश्वर निष्ठ श्रीगुरू की शरण ली जाएं तो डिस्काउंट मिलता है।
पूरे दिल से प्रायश्चित करने वालों को लगभग माफी मिल जाती है। और फिर भविष्य में दोबारा वह गलती न हो, इसका खयाल रखना होता है।
कायीक, वाचिक, मानसिक कर्म बीज होते है। कर्म के बीज दिखते नहीं, लेकिन होते हैं। हर कर्म एक अलग बीज का रुप धारण कर लेता है और हर बीज का बड़ा होने का, फल देने का एक अलग समय है।
किसी किसी कर्म का फल तुंरत नहीं मिलता। जैसे, आम के बीज को फल आने में बीस साल लग जाते हैं और मुंग चने दो चार महीने मे फल देते हैं। कुछ कर्मो का फल तुंरत नहीं मिलता। और इसलिए हमें ऐसा लगता है कि बुरा करने वाला मज़े करता है या उसे सजा नहीं मिल रही।

बुरे कर्म करने वालों को सजा मिलेगी और बहुत ज्यादा मिलेगी। मिलती है। हमने देखा है।
हम हर चीज में उतावले होते हैं, लेकिन परमात्मा उतावले नही होते। उनके पास बहुत समय है। वह बन्सीधर श्रीकृष्ण बहुत चालाक और शांत है। उसने सगुण सृष्टि और सृष्टि वालों के लिए कुछ नियम बनाए हुए है और वह उसी के अनुसार चलता है।
परमात्मा के बनाएं नियमों में, परमात्मा की बनाई सिस्टम में कही भी, कोई भी गलती नहीं है।

दुर्जन इसलिए भी मज़े में होते हैं क्योंकि मनुष्य होने का उनके पास लास्ट चांस होता है। जो लोग मनुष्य शरीर और समय का दुरुपयोग करते हैं, वे सजा के पात्र बनते हैं और आगे चलकर उनसे वह मनुष्य देह छीन लि जाती है। फिर आगे उनकी दुर्दशा होती है।
सज्जनों का, धर्म की राह पर चलने वालों का और सत्यवादीयो का ऐसा है कि, ऐसे लोगों को परमात्मा प्रेम करते हैं। और फिर उन्हें मोक्ष की ओर ले जाना चाहते हैं। इसी कारण उनको दुःख और प्रतिकूलता ज्यादा होती है क्योंकि पूराने सभी जन्मों का, लगभग पिछले आठ जन्मों का हिसाब एक साथ एक ही जन्म में पूरा करना होता है। और इसलिए उन्हें सब जगह विफलता, लोगों से टॉर्चर होना, बेबसी, अकेला पण जैसे अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन वे ही लोग भाग्यशाली होते हैं।
धन्यवाद।