राम कृष्ण परमहंस देव ने ईश्वर और नश्वर, यानी ईश्वर के दोनों रुपों को जान लिया था। जीवन की वास्तविकता को पहचान लिया था और इसलिए उन्होंने कहा “धन मिट्टी है, मिट्टी ही धन है।”

“धन मिट्टी है, मिट्टी ही धन है” अर्थात धन मिट्टी से आता है। सबकुछ मिट्टी से आता है। और अंत में मिट्टी में समा जाता है।

तोह मिट्टी से आता है इसलिए धन मिट्टी है। और वही धन अंत में मिट्टी में जाता है।‌ अंत में सब मिट्टी होना है।

सब दो दिन का खेल तमाशा है। जड़, स्थूल, दृश्य जो भी है सब मिट्टी है।

जड़ रुप में कृष्ण मिट्टी है। यह मिट्टी ही असली काली मां है। मिट्टी सृजन करती है, मिट्टी शिव की शक्ति है। मिट्टी मृतवत बेजान दिखती है, लेकिन यह जागृति प्रकिया है।‌ मिट्टी में प्राण है, चेतना है।

मिट्टी लक्ष्मी है, धन की देवी हैं। यह मिट्टी हमें उधारी पर, कुछ दिनों के लिए सबकुछ देती है, लेकिन हम उसकी कोई भी चीज लेकर नहीं जा सकते। उसका शरीर भी उसे वापिस देना होता है।
धन्यवाद।राम कृष्ण परमहंस देव ने ईश्वर और नश्वर, यानी ईश्वर के दोनों रुपों को जान लिया था। जीवन की वास्तविकता को पहचान लिया था और इसलिए उन्होंने कहा “धन मिट्टी है, मिट्टी ही धन है।”

“धन मिट्टी है, मिट्टी ही धन है” अर्थात धन मिट्टी से आता है। सबकुछ मिट्टी से आता है। और अंत में मिट्टी में समा जाता है।

तोह मिट्टी से आता है इसलिए धन मिट्टी है। और वही धन अंत में मिट्टी में जाता है।‌ अंत में सब मिट्टी होना है।

सब दो दिन का खेल तमाशा है। जड़, स्थूल, दृश्य जो भी है सब मिट्टी है।

जड़ रुप में कृष्ण मिट्टी है। यह मिट्टी ही असली काली मां है। मिट्टी सृजन करती है, मिट्टी शिव की शक्ति है। मिट्टी मृतवत बेजान दिखती है, लेकिन यह जागृति प्रकिया है।‌ मिट्टी में प्राण है, चेतना है।

मिट्टी लक्ष्मी है, धन की देवी हैं। यह मिट्टी हमें उधारी पर, कुछ दिनों के लिए सबकुछ देती है, लेकिन हम उसकी कोई भी चीज लेकर नहीं जा सकते। उसका शरीर भी उसे वापिस देना होता है।
धन्यवाद।

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