परमहंस का मतलब क्या होता है?
परमहंस नाम का मतलब सद्गुरु होता है।
असली नाम – गदाधर
जन्म – 18 फरवरी 1836
मृत्यु – 15 अगस्त 1886
पिता – खुदीराम
पत्नी – शारदा मणि
कर्म – संत, उपदेशक
कर्म स्थान – कलकत्ता
शिष्य – स्वामी विवेकानंद
अनुयायी – केशवचंद्र सेन, विजयकृष्ण गोस्वामी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, बंकिमचंद्र चटर्जी, अश्विनी कुमार दत्त।
रामकृष्ण का अर्थ क्या है?
परमहंस नाम का मतलब राम और भगवान कृष्ण दोनों का संयोजन होता है।
परमहंस नाम किसने दिया?
उनके माता-पिता खुदीराम चट्टोपाध्याय और चंद्रा देवी ने उनका नाम गदाधर रखा, जो भगवान विष्णु के नामों में से एक है, हालांकि उन्हें अंततः उनके मठवासी नाम ‘श्री रामकृष्ण परमहंस’ के रूप में जाना जाने लगा ।
रामकृष्ण परमहंस जी एक महान विचारक थे, जिनके विचारों को स्वयं विवेकानंद जी ने पूरी दुनियाँ में फैलाया।
राम कृष्ण परमहंस जी ने सभी धर्मो को एक बताया। उनका मानना था कि सभी धर्मो का आधार प्रेम, न्याय और परहित ही हैं। उन्होंने एकता का प्रचार किया। बाल्यकाल में इन्हें लोग गदाधर के नाम से जानते थे। यह एक ब्राह्मण परिवार से थे। इनका परिवार बहुत गरीब था। इनमे आस्था, सद्भावना एवं धर्म के प्रति अपार श्रद्धा एवम प्रेम था।
रामकृष्ण परमहंस का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
फरवरी 1836 को स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म पश्चिम बंगाल के कामारपुकुर गांव में हुआ था।उनके पिता का नाम खुदीराम और मां का नाम चंद्रमणि देवी था। रामकृष्ण परमहंस एक महान संत और विचारक के रूप में जाने जाते है।
रामकृष्ण को देवी प्रतिमा को सजाने सजाने का दायित्व दिया गया था। १८५६ में रामकुमार की मृत्यु के पश्चात रामकृष्ण को काली मंदिर में पुरोहित के तौर पर नियुक्त किया गया। रामकुमार की मृत्यु के बाद श्री रामकृष्ण ज्यादा ध्यान मग्न रहने लगे। वे काली माता की मूर्ति को अपनी माता और ब्रह्माण्ड की माता के रूप में देखने लगे।
रामकृष्ण क्यों महत्वपूर्ण है?
रामकृष्ण ने भारत में हिंदू धर्म के आधुनिक पुनरुद्धार और आंदोल-रामकृष्ण मिशन में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उनकी प्रेरणा ने आधुनिक भारतीय इतिहास को गहराई से प्रभावित किया है। रामकृष्ण को केशव चंद्र सेन और अन्य ब्रह्मोस और कलकत्ता के अभिजात वर्ग, भद्रलोक पर एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में भी माना जाता है। वह महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं। अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे।
स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बीच क्या संबंध है?
रामकृष्ण और विवेकानंद के बीच संबंध नवंबर 1881 में शुरू हुआ, जब वे सुरेंद्र नाथ मित्रा के घर पर मिले। रामकृष्ण ने नरेंद्रनाथ (विवेकानंद का पूर्व-मठवासी नाम) को गाने के लिए कहा। उनकी गायन प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्होंने उन्हें दक्षिणेश्वर आमंत्रित किया।
विवेकानंद के मूल मंत्र क्या थे?
स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र, जो युवाओं के लिए हैं प्रेरणादायक।
उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।
रामकृष्ण नाम “गदाधर” को किसने दिया था?
60 के दशक के दौरान उन्होंने भैरवी ब्राह्मणी के साथ अध्ययन किया, जो एक भटकती महिला सन्यासी थी, जिसने उन्हें तंत्र में निर्देश दिया, फिर एक उत्तर भारतीय वैष्णव रहस्यवादी के साथ और अंत में शंकराचार्य के भक्त तोतापुरी के साथ रहे। तोतापुरी ने गदाधर को संन्यास की दीक्षा दी और उन्हें रामकृष्ण नाम दिया।
रामकृष्ण जी को कैंसर क्यों हुआ?
राम कृष्ण परमहंस अवतार को पिछले बुरे कर्मों के कारण कैंसर नहीं हुआ, बल्कि उन्हें कैंसर इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने अपने शिष्यों के पापों को अपने ऊपर ले लिया। महान संत अपने शिष्यों के मार्ग को सुगम बनाना चाहते थे और आध्यात्मिक विकास को तेज करना चाहते थे।
क्या राम कृष्ण परमहंस मछली खाते थे?
रामकृष्ण परमहंस मछली खाया करते थे, यहां तक कि उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस जी भी मछली खाते थे। बंगाल में कुछ पूजा ऐसी भी होती हैं, जिनमें भगवान को मछली चढ़ाया जाता है। लेकिन सत्य और ज्ञान की प्राप्ति के बाद स्वामी जी ने मांसाहार का त्याग कर शुद्ध सात्विकता को चुना।
रामकृष्ण परमहंस की पत्नी कौन थी?
रामाकृष्ण की पत्नी ( विवा. 1859-1886) सारदा देवी भारत के सुप्रसिद्ध संत स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी थीं। रामकृष्ण संघ में वे ‘श्रीमाँ’ के नाम से परिचित हैं।
क्या रामकृष्ण पागल थे?
वह अशिक्षित थे और लोग सोचते थे कि वह पागल हैं क्योंकि उनका व्यवहार मानसिक अवधारणाओं द्वारा समझाया नहीं जा सकता था। लेकिन धीरे-धीरे उनका प्रभाव और प्रसिद्धि बढ़ती जा रही थी। लोग उन्हें देखने आने लगे।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने और कब की ?
भारतीय समाजसेवा संगठन रामकृष्ण मिशन की स्थापना साल 1890 में 1 मई को हुई थी। मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की थी, जो रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे।
राम कृष्ण मिशन के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
रामकृष्ण के प्रत्यक्ष शिष्य स्वामी ब्रह्मानंद को आदेश के पहले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना क्यों की गई थी ?
राम कृष्ण मिशन की स्थापना वर्ष 1897 में विवेकानंद द्वारा कोलकाता के पास संत रामकृष्ण (वर्ष 1836-86) के जीवन में सन्निहित वेदांत की शिक्षाओं का प्रसार करना और भारतीय लोगों की सामाजिक स्थितियों में सुधार करने के दोहरे उद्देश्य के साथ की गई थी।
16 अगस्त रामकृष्ण परमहंस की महासमाधि के दिन के रूप में मनाया जाता है।
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सेल्फ अवेकनिंग मिशन
शालिनी साही