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हे परमपिता! “परमेश्वर”
हर बार की तरह तेरे समक्ष मैं फिर प्रार्थना रख रही ।
तू ही तो हमें “प्रार्थना” करना सिखाया है वरना हमारी क्या औकात …
तेरे समक्ष मैं कागज कलम📝 उठाकर प्रार्थना लिखूं या मैं अपने मुख से कुछ प्रार्थना के शब्द बोलूं यह सारी ताकत तुझसे ही मिलती है मेरे “मुक्तिदाता” ऐसी ताकत तू हमेशा मुझमें देना🙏🏻🙇🏻‍♀️ अपराध तो हमसे अनगिनत हुए हैं इस जन्म ही क्या हर जन्म में हमने अनगिनत अपराध किए होंगे अगर मैं तुझसे माफी भी मांगु तो मुझे लगता है, मैं तेरे माफी के काबिल भी नहीं…
पर तू तो इतना दयालु है कि तूने मेरे हर अनगिनत अपराध को हर जीवन में क्षमा करते गया।पर मैं ना समझ नादान हर जन्म में उन गलतियों को दोहराया है और तूने मेरे हर गलतियों पर पर्दा डाला है ।तू है ही इतना दयालु अब तेरी अपार कृपा से इस जन्म मुझे अपराध की समझ आ गई। अब मैं आगे से उन गलतियों को नहीं दोहराऊं क्योंकि हमने तो अनेक जन्मों में ना जाने कितने अपराध किए चाहे वह पशु पक्षी की योनि में ही क्यों न किए होंगे बिल्ली बनकर चूहे को मारे होंगे जंगल का राजा बन कर जंगली पशु पक्षियों को मार डाले होंगे कोयल बनकर कौए के बच्चे की हेराफेरी की माना की उस वक्त हमारा शरीर पशु पक्षी का था पर किए तो हमने अनगिनत अपराध ,इसमें भी जब समझ ना आए कुछ कर गए ऐसे अच्छे कर्म तूने दिया हमें मनुष्य जन्म। क्या हम कर गए कुछ ऐसे काम फिर भी नासमझी रही हमारी ना सुधार पाए कुछ भी ।
हमारे हर गलतियों को तूने हमें बड़े प्यार से समझाया सुधारा तब भी हम ना सुधरे इन्हीं गलतियों को हर जन्म में हमने हैं दोहराया लेकिन अब जाके लगता है इस जन्म सुधर गए हम🙏🏻 अब आगे से ना ऐसे गलतियां करेंगे हम🙏🏻 और जो भूल हमसे हुई है मन से वचन से कर्म से काया से जाने अनजाने कौन अपराध के लिए तेरे श्री चरण कमलों में हम सर झुका कर बारंबार हर पल हर क्षण कान पकड़कर नाक रगड़ कर तुझसे अपने उस सारे जन्मों-जन्मों के अपराध के लिए बारंबार क्षमा मांगते हैं ।हम जानते हैं इसी वक्त तू ने हमारे सारे अपराधों को क्षमा कर दिया।
प्रभु पर हमारे पास “धन्यवाद” के अलावा तुझे देने के लिए कुछ भी नहीं है ,जो कुछ भी है उस सब पर हक है तेरे ही तेरे क्योंकि कुछ भी नहीं है मेरा सब है तेरा तेरा और तेरा

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