अज्ञान अवस्था में अध्यात्मिक शक्ति हमारे अंदर पहले से ही मौजूद होती है। लेकिन जैसे ही मनुष्य जीवन में सदगुरू रुपी ज्ञानसूर्य का आगमन होता है वह शिष्य को बोधामृत पिलाते हैं। उसकी अज्ञान की गहरी नींद हटाकर उसे आत्मज्ञान में जगाते हैं।

सदगुरू के जीवन में आने के बाद उनसे मिले ज्ञानदान, गुरुबोध से अध्यात्मिक शक्ति विकसित होती है। अध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए जीवन में एक सच्चे आत्मज्ञानी संत महापुरुष की आवश्यकता होती है।

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