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जैसे सेब को यदि काटकर देखें तो उसमें से अक्सर तीन बीज निकलते हैं। और एक बीज से एक पेड़, एक पेड़ से अनेक सेब, अनेक सेबों में फिर तीन-तीन बीज हर बीज से फिर एक-एक पेड़ और यह अनवरत क्रम चलता ही जाता है। ठीक इसी तरह गुरु की कृपा हमें प्राप्त होती रहती है। बस हमें उसकी भक्ति का एक बीज अपने मन में लगा लेने की जरूरत है।

🍁 गुरु एक तेज है, जिनके आते ही सारे संशय के अंधकार मिट जाते हैं।
🍁गुरु वो मृदंग है, जिसके बजते ही अनाहद नाद सुनना प्रारम्भ हो जाता है।
🍁गुरु वो ज्ञान है, जिसके मिलते ही भय समाप्त हो जाता है।
🍁गुरु वो दीक्षा है, जो सही मायने में मिलती है तो भव सागर पार हो जाते हैं।
🍁गुरु वो नदी है, जो निरन्तर हमारे प्राणों से बहती है।
🍁 गुरु वह सत् चित् आनन्द है, जो हमें हमारी पहचान देता है।
🍁 गुरु वो बांसुरी है, जिसके बजते ही मन और शरीर आनन्द अनुभव करता है।
🍁गुरु वो अमृत है, जिसे पीकर कोई कभी प्यासा नहीं रहता।
🍁 गुरु वो कृपा है, जो सिर्फ कुछ सद् शिष्यों को विशेष मिलती है और कुछ पाकर भी समझ नहीं पाते हैं।
🍁 गुरु वो खजाना है, जो अनमोल है।
🍁 गुरु वो प्रसाद है, जिसके भाग्य में हो उसे कभी कुछ भी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती।
गुरु की आवाज।
🍁अगर हम रात को ये सोच कर सोएं कि सुबह सद्गुरू हमें, आवाज देते हैं और हमको उठना है तो और आप उठेंगे भी ॥
यकीन मानिए आप को गुरु की आवाज भी सुनाई देगी।
गुरु के वचन को केवल कानों से नही👂🏻, मन की गहराई से सुनना, एक-एक वचन को ह्रदय🫀 में उतारना और उस पर आचरण करना ही गुरु के वचनों का सम्मान है, पांच पहर धंधा किया, तीन पहर गए सोए एक घड़ी ना सत्संग किया, तो मुक्ति कहाँ से होए?
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शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन

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