चिंता तो सत्तनाम की, और न चितवै दास।
जो कछु चितवै नाम बिनु, सोइबकाल की फाँस।।
यदि चिन्ता करनी है तो गुरु के नाम की चिन्ता करे, जिससे मुक्ति मिलती है। गुरु के नाम का चिन्तन करनेवाला सदा सुखी रहता है। मानव जन्म का लक्ष्य यही है कि सुझव से आजाद होना। खुशी की प्राप्ति भी तभी हो सकती है जब इन्सान मन को परास्त करे। जिससे आत्मा बलवान बनती है, वह केवल यही एक साधन है कि इंसान सत्पुरुषों के आदेशानुसार जीवन बनाये। उनके द्वारा बनाये गये नियम रूह की आज़ादी और आत्मा को बलवान बनाने के लिऐ हैं।।
ये साधन केवल सत्पुरुषों की सुसंगती में उपलब्ध हैं। इन नियमों को अपनाकर जीवन की सफलता को प्राप्त करना है। सुमिरन, सेवा, सत्संग, भजनाभ्यास, दर्शन-ध्यान इन नियमों का श्रद्धापूर्वक पालन करने से सत्पुरुषों की प्रसन्नता होती है और जीवन का लक्ष्य भी पूर्ण होता है।।
इसी प्रकार नियमों का पालन करते हुए यथार्थ में आज़ादी प्राप्त कर लेते हैं और जीवन के लक्ष्य को भी पूर्ण कर लेते हैं।।
https://youtube.com/shorts/LF0e1Ty3DmI?si=6a9qAn95pugi8Cg3
सद्कर्म करने वाले बुराई करने वालो की परवाह नहीं करते। ये निरन्तर अपने पथ पर अग्रसर रहते हैं।👍
कुछ लोग भला काम करते हैं तो बहुत सारे धूर्त, स्वार्थी, कपटी, दम्भी, बेईमान, अकर्मण्य, महत्वाकाँक्षी आदि लोग टोंका-टिप्पणी से बाज नहीं आते।
भले लोग इन बेवकूफ़ों की परवाह किये बगैर ही अपने भले काम चुपचाप इनको उत्तर दिये बगैर करते रहते हैं।
इसी को कहते है “हाथी चले बाजार कुत्ते भाँके हज़ार” 🔅💫🔅💫🔅💫🔅💫
शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन