मेरे “गुरुदेव”
मुखाकृतियां बहुत सी मेरी बंद आंखे देखती है
वो मुस्कुराती है….
जो कभी अजनबी थे
आज मेरे, अपने हैं
रिश्तो की परिभाषा से दूर
है हर एहसास के समीप
कुछ बंधे हैं नेह की डोर से
इस ओर से उस छोर तक इन सभी के लिए मेरे छोटे-छोटे कर रोज करते है, प्रार्थना जाता नहीं मै प्रभु के द्वार मंदिर, मस्जिद, शिवाला, गुरुद्वार मेरा प्रभु मेरे कर्मठ कर में है
पूरी दुनिया मेरे प्रभु के कर में है क्यों ढूंढ़ उसे दर-दर मैं जो स्वयं हर दर मे है और.
प्रार्थना से जुड़ा हर कर मेरे प्रभु का ही तो दर है जोड़ प्रार्थना से अपना कर सभी को दिल से अपनाकर हरले हर कर का दर्द कर, तू कर, कुछ एसा कर प्रभु ! वह असर भर मेरे कर मे एसी प्रार्थना करता है मेरा कर …🙏🏻
हम कहते हैं कि संतों को स्वर्ग भेजा जाता है और पापियों को नर्क । यह बात बिलकुल गलत है। संतों को स्वर्ग नहीं भेजा जाता – संत तो जहां होते हैं वहां स्वर्ग होता है। और पापियों को नर्क नहीं भेजा जाता -पापी जहां होते हैं वहीं नर्क होता है। भेजने की जरूरत ही नहीं पड़ती। वे खुद ही अपना नर्क और अपना स्वर्ग बना लेते हैं।
परमहंस प्यारे🙏🏻
हमको मन की शक्ति देना
मन विजयी करें दूसरों की जय से पहले
खुद को जय करें
भेद भाव अपने दिल से साफ कर सकें दोस्तों से भूल हो तो माफ कर सकें झूठ से बचे रहें, सच का दम मरें। दूसरों.
मुश्किलें पड़ें तो हम पर इतना कर्म कर
साथ दें तो धर्म का चलें तो धर्म पर
खुद पे हौसला रहे बदी से न डरें दूसरों..
आरम्भ, मध्य और अंत में भी
हर कार्य मेरा एक पूजा बन जाए
आपही की हर हर रूप में, स्वीकारें उसे मुस्कुराते हुए आपही हे प्रभो! स्वीकारें उसे मुस्कुराते हुए आपही मनके गुणदोष आपको ही समर्पित आप पावन करें अब ये जीवन सदासे से आपही को अर्पित 🙏🏻
शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन