इस पृथ्वी पर का अंतिम सत्य है मौत। अपने शरीर सहित सभी चीजों का नष्ट होना, बनना और बिगड़ना।
इस पृथ्वी पर का अंतिम सत्य है एक दिन मनुष्य को मौत के अधीन होना है, आग के हवाले होना है।
यहां का अंतिम सत्य है जो जन्म लेगा एक दिन उसकी मृत्यु होना तय है।
इस पृथ्वी पर का अंतिम सत्य यह है कि, आत्मा अमर है और शरीर है मरणधर्मा।
यहां का अंतिम सत्य यह है कि दौड़ तो सब लगा रहें हैं सुबह से शाम तक, लेकीन जाना कहां है बहुत कम लोग जानते हैं।
इस धरती पर का सत्य यह है कि, लोग हमसे प्रेम नहीं करते, लोग हमारे रुतबे को, रुपए पैसों को, चार दिन के, हाड़-मांस के देह के रुप सौंदर्य को प्रेम करते हैं।
यहां का सत्य यह है कि लोग नश्वर, क्षुद्र चीजों को जमा करने में पूरा जीवन बीता देते हैं। जो जीवन उन्हें चौरासी लाख योनियों में दुःख झेलने के बाद मिला हुआ था।
यहां का अंतिम सत्य यह है कि लोग सारा जीवन जो उन्हें आत्मकल्याण के लिए मिला हुआ था, चीजों को बटोरने में लगाते हैं, और अंत में साथ उनके अच्छे बुरे कर्मों के सीवा कुछ भी नहीं जाता। अपना खुद का शरीर तक नहीं।
शरीर का मृत्यु अटल है, कितना भी जमा करो सब चीजों का छूट जाना अटल है।
अंतिम सत्य यह है कि शरीर भाड़े का घर है, और कुछ ही सालों के लिए किराए पर मिला हुआ है।
अंतिम सत्य यह है कि जींस देह को हम घंटों सजाते संवारते हैं वह केवल मिट्टी का, अन्न का एक ढ़ेर है और कुछ भी नहीं।
अंतिम सत्य यह है कि एक परमात्मा के सीवा हमारा यहां कोई नहीं।
इस धरती पर का सत्य यह है कि लोगों की इच्छा होती है सुखी होने की, लेकिन लोग दुःख पैदा करने वाली चीजों की मांग करते हैं।
इस धरती पर का सत्य यह है कि हजारों लोगों में से कुछ लोगों को छोड़ बाकी सभी लोगों को गुरु से या ईश्वर से कोई लेना-देना नहीं होता, लोग मंदिरों में या गुरु दरबार में चीजें मांगने जाते हैं, ईश्वर या गुरु के लिए नहीं।
अंतिम सत्य यह है कि हर मनुष्य सुख की तलाश में बाहर भटक रहा है, जब की वह खुद सुखस्वरूप है।
अंतिम सत्य यह है कि हर मनुष्य सुकुन और शांति पाना चाहता है, और उसे बाहर ढुंढता है, जो सुख और शांति उसके भीतर पहले से ही मौजूद हैं।
अंतिम सत्य यह है कि यहां सत्य केवल आत्मा है, आत्मज्ञान है, और बाकी सब असत्य।
धन्यवाद!