सत्संग की महिमा महान है, जो कही नही जा सकती। सत्संग के बारे में संत दयाबाई जी ने कहा है– “साध संग जग में बड़ो, जो करि जानै कोय।...
सबसे पहले हमें निराकार ईश्वर के गुणों को समझना होगा। जो निराकार परमात्मा है, उसका कोई आकार नही, उसका कोई रंग रूप नही, उसकी कोई सीमा नही है। अपने...
मन की शांति के लिए सत्संग जरूर सुने। सच कहें तो शांति तो हमारा स्वभाव ही है, बस इस पर विचारों और विकारों का परदा पड़ जाता है, जिससे...
जी बिलकुल हमारी उम्र निश्चित होती है। उम्र से मतलब यह सांसों की गिनती से है, जितनी सांसें परमात्मा ने हमारे भाग्य में लिख दी है, उससे एक सांस...
जीवन का मुख्य उद्देश्य अपनी आत्मा का कल्याण होना चाहिए, उससे कम नही। यह भीतर की यात्रा है, जबकि सांसारिक उन्नति बाहर की यात्रा है। बाहर से भी मनुष्य...
हमारे सनातन धर्म में मनुष्य के लिये वेदों में चार पुरुषार्थों का नाम लिया गया है – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इसलिए इन्हें ‘पुरुषार्थचतुष्टय’ भी कहते हैं। महर्षि...
समय सबसे बलवान है वही इंसान को सबकुछ सिखाता है। क्योंकि समय परिवर्तनशील है, और एक जैसा समय सदैव नही रहता है। दुख के बाद सुख, और सुख के...