सबसे पहले हमें निराकार ईश्वर के गुणों को समझना होगा। जो निराकार परमात्मा है, उसका कोई आकार नही, उसका कोई रंग रूप नही, उसकी कोई सीमा नही है। अपने...
जीवन का मुख्य उद्देश्य अपनी आत्मा का कल्याण होना चाहिए, उससे कम नही। यह भीतर की यात्रा है, जबकि सांसारिक उन्नति बाहर की यात्रा है। बाहर से भी मनुष्य...
हमारे सनातन धर्म में मनुष्य के लिये वेदों में चार पुरुषार्थों का नाम लिया गया है – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इसलिए इन्हें ‘पुरुषार्थचतुष्टय’ भी कहते हैं। महर्षि...