ईश्वर पूर्ण है, लेकिन मनुष्य नहीं इसलिए कि ईश्वर को स्वतंत्र प्राणी माना जाता है, जबकि मनुष्यों को ईश्वर की छवि में बनाया गया है. ईश्वर सर्वव्यापी है और...
ईश्वर मनुष्य से शुद्ध ज्ञान, शुद्ध कर्म, और शुद्ध उपासना से मुक्ति पाने की इच्छा करते है।वह चाहते है कि हम अपने संपर्क में आनेवाले हर जीव से वैसा...
सतगुरु की महिमा पर संतों की वाणी संतों की वाणी में सतगुरु का अत्यधिक महत्त्व बताया गया है। संतों के अनुसार, सतगुरु वह हैं जो आत्मज्ञान का प्रकाश जलाकर...
सतगुरु द्वारा दिए गए नामदान का आध्यात्मिक, मानसिक और सांसारिक जीवन में गहरा प्रभाव पड़ता है। यह आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक माध्यम होता है, जिससे व्यक्ति...
जी! हमारे सहित सबकुछ ईश्वर का हैं। हम खुद भी ईश्वर के है। ईश्वर से अलग हमारा अपना कोई अस्तित्व नहीं है। हमारा बस अहंकार है, इसलिए हम ईश्वर...
किसी प्राणी के जीवनकाल के दौरान एकत्रित कर्म का संचय अगले अवतार में मृत्यु के बाद भी उसके साथ जारी रहता है और यह निर्धारित करता है कि वे...
मृत्यु सत्य नहीं है। और मृत्यु सत्य नहीं है, यह आत्मसाक्षात्कार के बाद साबित हो जाता है। जिन्होंने भी अबतक आत्मा साक्षात्कार किया है, आत्मा का अनुभव किया है,...
मनुष्य के लिए पैसा और परमात्मा दोनों जरुरी होते हैं। पैसा साधन है, साध्य नहीं। पैसा रुपी साधन से, पैसों की सहायता से हम साध्य की ओर, परमात्मा की...
दुनिया में कौन सा ज्ञान होते हुए भी अंधियारा है? सारी दुनिया का ज्ञान है और स्वयं का ज्ञान नहीं, इसको ज्ञान होते हुए भी अंधियारा कहते हैं। बहुत...
आत्मा सत और असत से परे है कैसे? आत्मा सत्य है, लेकिन सत और असत से भी परे है। क्योंकि आत्मा केवल चैतन्य है, आत्मा केवल बोध स्वरुप है,...