एक होता है बाह्य जगत और एक है अंतर जगत। वैसे देखा जाए तो यह दुआएं, बद्दुआएं अंतर जगत का ही एक विषय है। यह अदृश्य ऊर्जा सकारात्मकता या नकारात्मकता के रुप में कार्य करतीं हैं। यह बोली बाहर जाती है, लेकिन इसका असर कर्म सिद्धांत के अनुसार, धीरे, स्लोली स्लोली गुप्त रुप से होता है। लेकिन होता जरुर है, पक्का।
हमारा पिछले पच्चीस सालों का अनुभव है। हमने दुआओं के कारण जीरो से हीरो बनते हुए देखा है लोगों को और बद्दुआओं के कारण बर्बाद होते हुए भी।
जीन लोगों के भीतर दया, क्षमा, शांतिवाला गुण, सादापन, नम्र स्वभाव, सेवाभावी वृत्ति होती है, वे लोग दुआएं कमाते हैं। उनका भला होना ही है, आज़ नहीं तो कल। क्योंकि ऐसे लोगों के पलड़े में खुद परमात्मा होते हैं।
और जो अनसेंसेटिव लोग है, जो निर्दयी है, जो दुसरो के साथ कठोरता से पेश आते हैं, वे बद्दुआएं कमातें है। उनका विनाश निश्चित होता है। यह चीजें तुरंत असर नहीं करती है। इसमें समय लगता है लेकिन असर जरुर होता है।
इसलिए मनुष्यों को अपने कर्मों के प्रति, अपने स्वभाव, अपने आचरण व्यवहार के प्रति हमेशा सावधान रहना चाहिए, होश में, विवेक मे जीना चाहिए। दुआओ मे या बद्दुआ में बहुत ताकद होती है। यह दिखतीं तो नहीं, लेकिन यह एक्चुअल में काम करती है।
दुआएं सुख उत्पत्ति के बीज है। अगर हम दुआएं कमा रहे हैं, तो हम सुखों के पेड़ लगा रहें हों। अच्छे कार्य, सत्कार्यों से दुआओं की प्राप्ति होती है। यह एक बहुत बड़ा साइंस है।
जो लोग आज़ दुसरो के साथ कठोरता से पेश आते हैं, दुसरो को दर्द हो ऐसा व्यवहार करते हैं, झुठ कपट छल या किसी पर अन्याय करते हैं,भले वह आज़ कितने भी बलिष्ठ हों, कुछ सालों बाद भयानक बिमारी से ग्रस्त, या अपघात का शिकार होते हुए नजर आएंगे। प्रतिकुलता में अशांति में नज़र आएंगे, और यह सच है।
मैं मैं करने वाले बकरे को जैसे काटा जाता है, अहंकारी लोगों के साथ भी ऐसा ही कुछ होता है।
ईश्वर भक्ति करने वालों का, अच्छे कार्य करने वालो का हमेशा कल्याण निहित होता है। भले गरीबी में जीवों या कैसे भी, किसी न किसी रुप में उनका कल्याण छिपा होता है। सिर्फ पैसा मिलना कल्याण होना नहीं है, ईश्वर के नियम बहुत अलग होते है। हम पैसों को कल्याण होना समझते हैं, लेकिन ईश्वर हमारे कर्म काटने में लगे रहते हैं।
सज्जनता वा सरलता, सत्कर्म, सुपात्र दान, सेवाभावी परोपकारी-मददगार वृत्ति कभी भी व्यर्थ नहीं जातीं। भले लोग उन्हें पागल समझे, लेकिन ईश्वर के नज़र में वही हीरों है।
औरौ का भला करने वाले को दुआएं मिलती है। धीरे, मीठा और सत्य बोलने वाले को दुआएं मिलती है। करना तो दूर की बात दुसरो के बारे में केवल अच्छा सोचने मात्र से सकारात्मक उर्जा की, अच्छी शुभ स्फंदनात्क उर्जा की निर्मिती होती है और उसका कल्याण होने लगता है।
निंदक कुछ करता नहीं, लेकिन केवल बोलने मात्र से बद्दुआ पाता है। और बद्दुआएं बाद में दुःख में बदलतीं है। आगे चलकर प्रतिकुलता का शिकार होते हैं वे लोग।
निर्मल चित्त के लोगों की, तपस्वीयों की, विधवाओं की, सत्य पतिव्रता नारीयों के मुख से निकलीं बातें सच होती है। इसलिए ऐसे लोगों से हमेशा नम्रता से व्यवहार करना चाहिए, इनकी दुआएं लेनी चाहिए बद्दुआएं नहीं।
आत्मा को आनंद हो ऐसा व्यवहार करना हमेशा दुआएं कमाना है। अच्छे कार्य करों, नेकी को, सेवाभावी वृत्ति को अपनाओं। सुपात्र दान-पुण्य करतें रहो। लोगों के शुभ आशीर्वाद दुआएं लेते रहो, कल्याण होता जाएगा।
गाय और गुरु के, अपने जन्मदात्री माता के आशिर्वाद कभी भी व्यर्थ नहीं जाते।
धन्यवाद!