दुनिया में कौन सा ज्ञान होते हुए भी अंधियारा है?

सारी दुनिया का ज्ञान है और स्वयं का ज्ञान नहीं, इसको ज्ञान होते हुए भी अंधियारा कहते हैं।

बहुत ज्यादा चालाक, चतुर लोग होते हैं न दुनिया में। वे लगभग बहुत कुछ या सबकुछ जानते है लेकिन स्वयं को नहीं जानते।
लोगों को कैसे ठगना, लोगों का कैसे बटोरना और फिर खुद को स्मार्ट साबित करना। सब जानते हैं, लेकिन मैं कौन हूं? यहां क्यो हूं? मेरे जन्म का उद्देश्य क्या है? कर्म बंधन क्या है? बाद में मैं कहां जाऊंगा इस बारे में कुछ भी नहीं जानते। और खुद बहुत बड़े ज्ञानी होने के भ्रम में रहते हैं। उनके भीतर घोर अंधेरा होता है। इसी ज्ञान को ज्ञान होते हुए भी अंधियारा कहा गया हैं।

जो भी व्यक्ति चाहे सूरज के निचे क्यो न बैठा हो, स्वयं से दूर है, वह अंधेरे में है।

आत्मा का ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है, बाकी सब ज्ञान होते हुए भी अंधियारा हैं, अज्ञान है।

बाकी ज्ञान भी एक हद तक जरूरी होता है, पर केवल उसी को इकट्ठा करना और फिर अपने को बहुत बड़ा महान समझना इसको ही ज्ञान होते हुए भी अंधियारे में रहना कहते हैं।‌
धन्यवाद।

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