मन को शांत रखना अपने हाथ में है यदि आप समझदार हैं तो। समझदारी अर्थात ज्ञान होना कि सहीं क्या है और गलत क्या है। ज्ञानवान व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थिति में भी शांत रहता है। क्योंकि ज्ञान से अज्ञान मिट जाता है अर्थात सत्य और असत्य में भेद करना आ जाता है। और आम इंसान ज्यादातर असत्य के साथ जीता है, भ्रम में जीवन काटता है।
ज्ञानी व्यक्ति जानता है कि संसार झूठ है, यह एक माया है। वह जानता है कि सुख और दुख मन का खेल है, जो हमारे मानने अनुसार हमें महसूस होता है। ज्ञानी व्यक्ति इनसे परे होकर परिस्थितियों को देखता है और तटस्थ रहता है। उसे सुख और दुख नहीं व्यापते।
कठिन परिस्थितियों में मन को शांत रखने के और भी कई रास्ते हमारे संतों ऋषि, मुनि, ज्ञानियों l, गुरुओं ने बताए हैं। संसार से मन हटाकर इसकी सत्यता को जानने का प्रयास करना चाहिए, ध्यान के द्वारा यह कार्य बहुत आसान हो जाता है। एक ध्यानी के लिए मन और उसकी माया समाप्त हो जाती है। ध्यान हमारी चेतना को जागृत करता है और आत्मा की स्थिरता को लाता है। निज स्वरूप का ज्ञान हो जाता है और फिर परिस्थितियां कोई मायने नहीं रखती, चाहे सुख हो या दुख वह तटस्थ भाव से जीता है।
इसके साथ ही जीवन के अनुभव भी हमें समझाते हैं कि आँखिर सुख और दुख दोनो सदैव नही रहते, समय के साथ सब बदल जाता है, इसलिए विपरीत परिस्थितियों में अधीर नही होना है। इसी प्रकार जिसका आत्मबल जितना मजबूत होगा, वह परिस्थितियों से लड़ सकेगा।
और लड़ना भी क्या जिसने सत्य को जाना वह लड़ना छोड़, स्वीकार भाव में आ जाता है। जिसने परमात्मा से प्रेम किया हो वह उसकी मर्जी में समर्पित हो जाता है, फिर दुख का कोई सवाल ही नही उठता। मन को सदैव शांत रखने के लिए विवेक और समझदारी से निर्णय लें। हमारा जीवन जैसा भी है, अपने कर्मों का ही फल है, इसलिए शांत भाव से उसे स्वीकार करें।
सबसे प्रेम करें, मन, आत्मा के भेद को जानें, गहरी लंबी सांसें लिया करें, सत्कर्म करें, मन, आचरण और कर्म को पवित्र रखें, क्योंकि जब हम आत्मा के विरुद्ध कोई कार्य करते हैं ही मन अशांत होता है। परमात्मा से प्रेम करें और उन पर पूरा भरोसा रखें। हिम्मत, आशा, विश्वास, श्रद्धा के साथ जीवन जिएं, दूसरों के लिए जिएं, प्रेम पूर्ण जीवन जिएं और सदैव मन को शांत रखें।