भगवान से बड़ा कोई नहीं है। लेकिन, सदगुरु खुद भगवान नहीं होते, भगवान से मिलें हुए होते हैं। हमें भी भगवान तक पहूंचाने में मदद करतें हैं। सदगुरु का...
आत्मा का अंत नहीं होता, आत्मा का विकास होता है। आत्मा प्रभू का रुप है। आत्मा प्रभू का अंश है और फिर भी आत्मा अनंत यात्रा पर है। आत्मा...
कर्मयोग का अर्थ है बिना किसी फल की इच्छा के, अपने कर्तव्यों का पालन करना, और अपने हर कर्म को ईश्वर को समर्पित करना। यह एक ऐसा योग है...
हां बिल्कुल। भगवान की जगह सदगुरु की पूजा की जा सकती है, कर सकते है। भगवान को हम नहीं जानते। भगवान को हमने नहीं देखा। हमने तो बस सदगुरु...
हां पुनः जन्म होता है। बिल्कुल होता है। चौरासी लाख योनियों में से मनुष्य योनि अंतिम योनि होती है। और फिर इसके बाद चौरासी का फिर से नया चक्र...
कर्म स्थूल के साथ साथ सूक्ष्म, कायिक वाचिक मानसिक रूप से होते हीं है। बीना कर्म करें हम नहीं रह सकते। कर्म तो सदा होते ही रहते हैं। बस...
राम कृष्ण परमहंस देव ने ईश्वर और नश्वर, यानी ईश्वर के दोनों रुपों को जान लिया था। जीवन की वास्तविकता को पहचान लिया था और इसलिए उन्होंने कहा “धन...
21 दिवसीय “ॐ श्री परमहंसाय नमः” साधना – आपके सभी प्रश्नों के उत्तर “ॐ श्री परमहंसाय नमः” साधना क्या है? 21 दिवसीय मंत्र साधना एक शक्तिशाली आध्यात्मिक प्रक्रिया है,...
Shri Aarti Morning Shri Aarti Evening Bhajan – होंगे किसी के लाखों मेरा सहारा तू है Bhajan – जन्म जन्म का साथ है, गुरु से हमारा Bhajan – मुझे...
कर्मो का फल हर किसी को हर हाल में भुगतना होता है। लेकिन, उसमें अगर माफी मांग ली जाएं, प्रायश्चित किया जाए और पूर्ण सच्चे ईश्वर निष्ठ श्रीगुरू की...