आत्मा को विज्ञान नहीं ढूंढ सकतीं, विज्ञान केवल आत्मा का अनुभव कर सकतीं हैं।

अध्यात्म से विज्ञान है, विज्ञान से अध्यात्म नहीं।

विज्ञान के मूल में अध्यात्म है। विज्ञान जो भी प्रगती कर रहा है उसका कारण अध्यात्म है। वे बेशक मानते होंगे, लेकिन विज्ञान का अपना आत्मा से अलग अस्तित्व नहीं है।

अध्यात्म पिता है, विज्ञान बेटा।

बेटा पिता से अलग अपना अस्तित्व मानता है लेकिन उसका अस्तित्व पिता से ही होता है।

यहां सब आत्मा है। वैज्ञानिक भी और हम भी। वह आत्मा शुन्यता, चैतन्यता, उर्जा के रुप में कार्य करती है। वह होती है, लेकिन दिखती नहीं।

वह देखती है, लेकिन दिखती नहीं।


आत्मा को ज्ञान दृष्टि से दिव्य दृष्टि से देखा जाता है। आत्मा को सद्गुरु की मदद से अनुभव किया जाता है। उसे ढुंढना कहा है? वह है हि मौजूद सदा से।

आत्मा है इसलिए जग चल रहा है। आत्मा है इसलिए वैज्ञानिक उसी का शोध कर रहे हैं।
जड़ चेतन, ज्ञान विज्ञान दोनों आत्मा है।

जड़ आत्माका साकार रूप है, चेतन निराकार। संपूर्ण जगत दो के आधार पर चल रहा है। कोई भी एक हो तो काम न चलेगा।
धन्यवाद।

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