भविष्य निश्चित कभी भी नहीं होता, भविष्य हमेशा आज़ हमारे हाथ में होता है। हमारे आज़ के प्रयास कल का भाग्य या भविष्य होते हैं। हम हमारे आज़ के अच्छे कर्मों से भविष्य को बदल सकते हैं। आज़ वर्तमान में जैसे हमारे कर्म होंगे वैसा हमारा भविष्य होगा।

भविष्य को हम अच्छे कर्मों से, सकारात्मक सोच से, सही दिशा में अथक परिश्रम या प्रयासों से। सही मार्गदर्शन और सही दिशा में उठाए गए ठोस कदमों से, पूरी तरह से जैसा हमे चाहिए वैसा ही बदल सकते हैं।

हमारा आज़ का वर्तमान भाग्य हमारे पूर्व कर्मों के आधार पर होता है। जिसे हमे भुगतना ही होता हैं, लेकिन प्रयासों से हम उसे भी पहले से बेहतर बना सकते हैं। और अगर वह भाग्य दुर्भाग्य है, तो उसका दर्द भी हम पहले से कम कर सकते हैं।

प्रयासों से असंभव को संभव किया जा सकता है। आनेवाले भविष्य को उज्ज्वल भविष्य में बदलने के लिए हमारा सही दिशा में प्रयास करना जरूरी है। इसके लिए मनुष्य का अपने भीतर जागना जरूरी है।

हमने आज तक कितनों का भाग्य बदलते हुए देखा है। मनुष्य के भीतर जब जागृति आतीं हैं, और अगर उसे कोई सच्चे सद्गुरु मिलते हैं, तो सकारात्मक व सही मार्गदर्शन में उसकी आदतें बदलनी शुरू होती है। उसके सोच-विचार बदलते हैं। उसमें स्वीकार भाव व माफी प्रार्थना का भाव भी आ जाता है।
तब माफी व प्रार्थना के कारण, कुछ प्रायश्चित और सेवा के कारण, भीतर के जगे हुए विवेक के कारण, धीरे-धीरे उसका सबकुछ बदलता जाता है।

सही मार्गदर्शन में सही प्रयास करने से हम उज्वल भविष्य की निर्मिती कर सकते है।

जब हम किसी सद्गुरु के मार्गदर्शन में एक नए जीवन की शुरुआत करते हैं, तो हमारे आचरण व्यवहार, हमारे सोच-विचार, हमारे कर्म करने का तरीका सबकुछ बदलता है और इसी कारण भविष्य बदलता है।‌

आनेवाला समय पूरी तरह से हमारे हाथ में होता है, हम अभी से प्रयास करेंगे तो आनेवाले भविष्य को जैसा चाहिए वैसा ही आकर दे सकते हैं।

गुरु की शरण में जाकर उनके मुताबिक अपने को ढालने से आनेवाला भाग्य या भविष्य बदलता है। और किसी अध्यात्मिक पूर्ण आत्मज्ञानी सदगुरु के मुताबिक अपने को ढालने से जन्म जन्म का भाग्य बदलता है, जन्म जन्मांतर के दुःख नष्ट होते हैं।

परमात्मा की भक्ति से, परमात्मा के नामस्मरण से भाग्य बदलता है। गौ और सदगुरु सेवा से दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है।

आनेवाले भाग्य या भविष्य को मनुष्य अपने अच्छे कर्मों से, अपने भीतर के सकारात्मक बदलाव से, दान-पुण्य, सेवा और परोपकार से जैसा चाहिए वैसा बदल सकता हैं।

जो अपने उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं, उन्हें सही मार्गदर्शन में, सही दिशा में सकारात्मक प्रयास करने होंगे, खुद में बदलाव लाना होगा और साथ साथ लोगों की दुआएं लेना भी सीखना होगा।‌
धन्यवाद!

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