
जी बिल्कुल सत्य है। भगवान है और भगवान को पाया जा सकता है।
यह जो बड़े बड़े संत महात्मा जन है, जैसे संत ज्ञानेश्वर जी, लहेरी महाशय जी, राम-कृष्ण परमहंसजी, सदगुरु नानक, कबीर जी, मेरे गुरुदेव यह सब ऐसे ही थोड़ी भगवान का बखान करते हैं? ऐसे शेकडो महापुरुष हैं जिन्होंने भगवान का अनुभव किया है। वे सब सत्य बोलते हैं। उन्होंने भगवान का अनुभव किया है। तभी वे दूसरों को भगवान के बारे में बता रहे हैं।
Kya Sach Mein Bhagwan Ko Paya Ja Sakta Hai?
अभी भी कितने सारे, शेकडो लोग हैं जिन्होंने भगवान को अनुभव किया है। भगवान कही बाहर थोड़ी न रहते हैं। भगवान हमारा आपा है।
हम खुद भगवान में रहते हैं, भगवान में प्रकट हुए, भगवान में विलीन होते हैं, बस जानते नहीं हैं।

हाड़-मांस की देह धारण करने पर माया रुपी अज्ञान का एक परदा रहता है, चमड़े की आंखों पर। दिव्य दृष्टि बंद रहतीं हैं। चमड़े की आंखें सामने जो दिखता है, बस वही देखती है। इसलिए दृष्य के परे जो द्रष्टा छिपा है, वह दिखाई नहीं देता।
भगवान हमारे पास में है। भगवान हमारे इतने नजदीक है, जितना कोई भी नहीं। लेकिन जब सदगुरु मिलते हैं, तभी यह बात समझ आतीं हैं।
Kya Sach Mein Bhagwan Ko Paya Ja Sakta Hai?
मेरी पच्चीस साल की साधना थी। भगवान गुप्त रुप से देख रहे थे। जीवन में बहुत चमत्कार भी हुए। लेकिन भगवान से रुबरु मुलाकात नहीं हुई। जब-तक सद्गुरु नहीं थे, हम दो ही थे। सद्गुरु जीवन में आ गये और उन्होंने हम दोनों को मिला दिया। शादी होगयी कृष्ण से।

बहुत महिमा है सदगुरू की। सद्गुरु हमे सीधे सीधे परमात्मा से मिला देते हैं। क्योंकि वे खुद परमात्मा से मिले हुए हैं। मैंने इसका अनुभव किया है।
समाज में कितने ही लोगों को देखो। जब-तक गुरु नहीं होते वे सारी दुनिया घुमते है। और जैसे ही उन्हें सदगुरु की प्राप्ति होती है, अंतर्मुखी हो जातें हैं। फिर उनका बाहर कुछ काम ही नहीं बचता। जीसे पाना था, जिसके लिए वे सारी दुनिया घुम रहे थे, वह ईश्वर उन्हें घट भीतर ही मिल गया। तब उनका बाहर क्या काम?
मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि मैंने मेरे सदगुरुओं की कृपा से भगवान का अनुभव किया है। मुझे यहां तक पहुंचाने में मेरे अनेक गुरुओं का हाथ रहा है। मुझे मेरे अंतिम सदगुरु श्री परमहंस दयाल जी मिल गये और मेरी अध्यात्मिक यात्रा उन्ही पर खत्म हुई। अब ना तो गुरु की खोज करनी है, न तो ईश्वर की। मुझे ईश्वर मिल चुके हैं। अब जो भी मार्गदर्शन मिलता है, भीतर से मिलता है। “हम इतने काबिल तो नहीं थे, सब सदगुरु की कृपा है।”
परमात्मा हमसे कही दूर नहीं है। हम सभी के भीतर विद्यमान परमात्मा का अनुभव हम सभी ध्यान के द्वारा कर सकते हैं। अगर हम सभी सही मार्गदर्शन में मन शांति का अभ्यास करते हैं, जैसे अनेकों अनेक मेडिटेशन्स है, खास करके विपश्यना मेडिटेशन, शुन्यता ध्यान। अगर हम सही मार्गदर्शन में ध्यान करते हैं तो भगवान का या परमात्मा का अनुभव हम में से हर कोई कर सकता है। गहन ध्यान की स्थति में हमारा अस्तित्व सीमित नहीं रहता। गहन ध्यान में हम अंनत आकाश, निर्गुण निराकार चैतन्य स्वरुप भगवान से एकरुप होते हैं।
Kya Sach Mein Bhagwan Ko Paya Ja Sakta Hai?
भगवान के अनुभव के लिए कठोर तपस्या की आवश्यकता नहीं है। बस भीतर सच्चाई हो, इमानदारी, विनम्रता हो, प्रेम वाला स्वभाव, सच का साथ देने की हिम्मत हो, मन निर्मल हो, भीतर अपार करुना हो। गुरु और गुरुतत्व से, संतो-महापुरुषों में प्रेम हो, सेवा भावी वृत्ति हो। भगवान भीतर ही बैठे है, सब देखते हैं। ऐसे लोगों की भगवान रक्षा भी करते हैं, उनका साथ भी देते हैं, आगे चलकर उन्हे सदगुरु से मिलाते है। और फिर भीतर से अपना अनुभव भी देते हैं।
धन्यवाद।