महापुरुष को पहचानना आम लोगों के लिए बड़ा मुश्किल काम है।
महापुरुष बाहर से दिखने में हमारे जैसे ही होते हैं लेकिन उनके अंदर के अनेकों सद्गुणों से पहचाने जाते हैं।
“बोले तैसा चालें त्याची वंदावी पाऊले”
इस उक्ती की हिसाब से महापुरुष जितना जरुरी है और अपने और पराए के, जो समाज की हित में हो उतना ही बोलते है यह महापुरुष होने की एक निशानी है।
जिनके अंदर अपने परायों का भेदभाव नहीं रहता। जिनके अंदर दया, क्षमा, शांति, अपार करुना, सबके प्रति भेदभाव रहित प्रेम भरा रहता है वह महापुरुष होते हैं।
एक कुलटा को भी देवी रुप में देखते हैं वह महापुरुष होते हैं। उन्हें अपनी पत्नी के सिवा हर महिला में माता नज़र आती है वह महापुरुष होते हैं।
जो अपने कर्त्तव्यों से पलायन नहीं करते और शब्दों के पक्के होते हैं वह महापुरुष होते हैं। महापुरुषोंके वाणियों में मिठास होती है। महापुरुष हमेशा अपने स्वार्थ को त्यागकर दुसरो के हित में लगातार कार्य करते हैं।
स्वच्छ चरित्र, उच्च कोटि का आचरण व्यवहार जिसे हम “सिंपल लिविंग हाय थिंकिंग ” के नाम से जानते हैं, उच्च विचार सरणी, अति उच्च व्यक्तित्व महापुरुषोंकी निशानी होती है।
महापुरुष कभी किसी को दुःख नहीं देते बल्कि हमेशा दुसरो का दुःख हलका करने की कोशिश करते हैं। महापुरुष दुसरो के सुख से सुखी होते हैं और दुसरो के दुःख से दुःखी। और भी बहुत सारी अच्छी निशानियां होती है महापुरुषों पहचानने की।