
हम एक आत्मा है और हमारे इस आत्मस्वरुप को पुर्ततया जानने के लिए ही हम इस धरती पर आए हुए हैं। हम सब मनुष्य “मैं कौन हूं” को जानने के लिए ही इस धरती पर आए हुए है।
हम सदियों से अज्ञान की दशा में जी रहे हैं, हम अज्ञान दशा के कारण गलतियों पर गलतियां करते जा रहे हैं। अज्ञान और गलतियों के कारण अनेक कर्मबंधन बनते हैं। और हम उसी में भटक रहे हैं। यह भटकन जन्मों से जारी है क्योंकि
“तुम शरीर नहीं हो,
तुम शरीर को चलाने वाली चैतन्य सत्ता हो।
तुम देह नहीं हो,
तुम देहाभिमान से बाहर निकलो।
तुम अपने चैतन्य स्वरुप में स्थित हों जाओ।
तुम एक शुद्ध चैतन्य स्वरुप आत्मा हो।
तुम आत्मस्थ हो जाओ।
अब तक ऐसा बताने वाला हमे कोई मिला नहीं। हमे जन्मों से आत्मज्ञान में हिला हिला कर जगाने वाला कोई मिला नहीं। और मिला है तों हमने उसकी कद्र नहीं की, उनकी तरफ ध्यान दिया नहीं।
अब परमात्मा की दया कृपा से मनुष्य जीवन रुपी फिर से एक सुअवसर मिला है “मैं कौन हूं” को जानने का। और इसलिए हम इस धरती पर आए हुए हैं। अब जरा भी देर ना करते हुए तुरंत ही तुरंत स्वरुपस्थ सद्गुरु, आत्मज्ञानी महापुरुष से मिल लेना चाहिए। धरती पर आने का जो उद्देश्य है उसे पुरा कर लेना चाहिए।
अभी श्री आनंदपुर धाम में बैठे हुए स्वरुपस्थ सद्गुरु, आत्मज्ञानी महापुरुष। उनसे मिलने पर, उनसे ज्ञानदान लेने पर “मैं कौन हूं” और इस धरती पर क्यो आया हूं का पता लग जाएगा।
बहुत अच्छा