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बोलो जयकारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज जी की जय
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सत्संग की बड़ी सीख है खुद को सुधारना। स्वयं सुधार, अपने आपकी कमियों को दूर करना। सत्संग की शिक्षा सीख यही है कि हम एक नेक इंसान बन जाएँ। कुछ भी बनो मुबारक है पर पहले इंसान बनो। सत्संग की सीख का असर तब मालुम पड़ता है जब हम व्यवहार में जीवन जीते हैं। हमारा कर्म हमारा चरित्र हमारा आचरण हमारा व्यवहार चाल चलन बोली भाषा बताती है कि सत्संग की कितनी सीख हमारे जीवन में आई है। सत्संग में दो घंटा बैठना और बाद में “सत्संग” की बातों को जीना ही असली सत्संग है। सत्संग की सीख हमारे संस्कार हैं। हमारे संस्कार बयान करते हैं हमने सत्संग से क्या सीखा।
सत्संग संजीवनी बूटी है, जिस समय सत्संग हो ध्यान से सुनकर अमल करना है, बोलने वाला चाहे कोई भी हो परन्तु प्रेरणा तो मालिक की ही होती है-तुम वे वचन गांठ बांध लो तो तुम में परिवर्तन आ जायेगा ।
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शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन

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