रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद: रामकृष्ण जी ने अनेक सिद्धियाँ प्राप्त कीं। उन्होंने अपनी इंद्रियों को नियंत्रित किया और एक महान विचारक और उपदेशक के रूप में कई लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने निराकार ईश्वर की उपासना पर बल दिया। अपने ज्ञान के प्रकाश के कारण उन्होंने नरेंद्र नाम के एक साधारण बालक को, जो अध्यात्म से कोसों दूर तर्क में विश्वास रखता था, उसे अध्यात्म से परिचित कराया।
भगवान की शक्ति ‘असीम शक्तियों का ज्ञान कराके, उन्हें नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बना दिया। देश को ऐसा बेटा दिया जिसने देश सरहदों से पर जाकर सम्मान दिलाया। जिन्होंने युवाओं को जगरूप कर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, तथा देश जागरूकता का अभियान चलाया और अपने गुरु को गुरु-भक्ति प्रदान की।
रामकृष्ण और विवेकानंद के बीच संबंध नवंबर 1881 में शुरू हुआ, जब वे सुरेंद्र नाथ मित्रा के घर पर मिले। रामकृष्ण ने नरेंद्रनाथ (विवेकानंद का पूर्व-मठवासी नाम) को गाने के लिए कहा। उनकी गायन प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्होंने उन्हें दक्षिणेश्वर आमंत्रित किया।
स्वामी विवेकानंद के मूल मंत्र, जो युवाओं के लिए हैं प्रेरणादायक उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।
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शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन