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🌹हे मेरे सतगुरु! हर युग में लिया है तूने अवतार। प्रभु! राम अवतार भी तुम ही हो।🌹

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नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून।
अंक गएँ कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून ॥

🌹राम-नाम की महिमा का वर्णन करते हुए तुलसीदास कहते हैं कि इस संसार में केवल श्रीराम का नाम ही अंक है, उसके अतिरिक्त शेष सब शून्य है। अंक के न रहने पर कुछ प्राप्त नहीं होता, परंतु शून्य के पहले अंक के आने पर वह दस गुना हो जाता है अर्थात् राम-नाम का जाप करते ही साधन दस गुना लाभ देने वाले हो जाते हैं।🌹

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मैनें केवल राम चुना, वह भी आठों याम चुना,
शीतल सुंदर सुखदाई, अखिल लोक विश्राम चुना,
नाम जन्म से चला चली तक, सत्य एक रहा जगत में,
भव दुःख भंजन जन हित रंजन, तुलसी मानस धाम चुना।
सबहिं नचावत राम गुसाईं
तुलसी के मंगलकारी मानस में बसते हैं राम,
भव दुःख भंजन जन हित टीवी
सुंदर शीतल सुखदायक, अखिल लोक दायक विश्राम,
पद रज कण स्पर्श मिलें तो पाहन में भी पड़ते प्राण।

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वशिष्ठ यज्ञ हवनों में बसते, वेद ऋचा श्रवणों में बसते,
महलों में दशरथ के बसते, कौशल्या की गोद में बसते,
विदेह राज की देह में बसते, सीता जी के स्नेह में बसते,
केवट की नैया में बसते, गौशाला गैया में बसते,
शबरी के बेरों में बसते, गोद जटायु गिद्ध में बसते,
रामेश्वर महादेव में बसते, विभीषण विद्वेष में बसते,
नाभि के अमृत में बसते, अग्नि बाण के विष में बसते,
रामायण की छांव में बसते, देवाल य हर गांव में बसते,
हनुमान के देह में बसते, हर प्राणी के नेह में बसते,
ईश तत्व सर्वत्र विराजे अविरल नूतन राजा राम,
तुलसी के मंगलकारी मानस में बसते हैं राम।

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नाम राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु।
जो सुमिरत भयो माँग तें तुलसी तुलसीदासु।।

🌹कलियुग में केवल राम-नाम ही ऐसा कल्पवृक्ष है, जो मनोवांछित फल प्रदान करनेवाला तथा परम कल्याणकारी है। इसका सुमिरन करने से तुलसी भाँग से बदलकर तुलसी के समान हो गए हैं अर्थात् काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि विषय-विकारों से मुक्त होकर पवित्र, निर्दोष और ईश्वर के प्रिय हो गए हैं।🌹

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शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन

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