अच्छे लोगो को भगवान अपने पास जल्दी क्यों बुलाते है, की उनकी मृत्यु अचानक ही हो जाती है?
अच्छे लोगों को भगवान अपने पास जल्दी बुला लेते हैं यह बात सौ प्रतिशत सत्य नही है। हां कुछ महान आत्माओं के कम उम्र में ही शरीर छोड़ जाने से ऐसा लगता जरूर है कि अच्छे लोग जल्दी संसार से विदा हो जाते हैं। वास्तव में हर व्यक्ति अपने पूरे कर्मों के आधार पर ही अपनी निश्चित उम्र लेकर आते हैं। हर जीव अपना एक निश्चित लक्ष्य लेकर आता है, और लक्ष्य पूरा होते ही अपने शरीर का त्याग कर देता है। उसकी सांसे उसके लिए निश्चित हैं एक भी सांस वह ना अधिक ले सकता है ना कम।
और पुण्य आत्माएं जल्दी चली जाती तो धरती पर धर्म की रक्षा कैसे होती। धर्म की रक्षा हेतु हर समय धरती पर महान पुण्य, दैवीय आत्माएं सदा किसी ना किसी रूप में विद्यमान रहती हैं। तभी तो इस घोर कलियुग में भगवत्ता आज जीवित है। धर्म आज भी धरती पर है, क्योंकि किसी ना किसी रूप में संतो, महात्माओं द्वारा धर्म की स्थापना और रक्षा का कार्य ईश्वर स्वयं करते हैं।
हर व्यक्ति यहां अपने कर्म फल को भोगने ही आता है, और कर्म बंधन से मुक्त होना ही उसका परम लक्ष्य है। अब जिसके कर्म बंधन कम होते हैं वह जल्दी ही अपने कर्म काट लेते हैं और शरीर त्याग देते हैं, जबकि उसकी अवस्था एकदम स्वस्थ, ह्रिस्टपुष्ट शरीर, सब ओर से सुखी और संपन्न, होती है। अकारण कोई भी यहां एक पल भी नही टिकता। उसी प्रकार कई लोग बिल्कुल जीर्ण–शीर्ण अवस्था में भी, बीमारी से ग्रस्त होकर, तंगी में, परेशानी के साथ भी मरते नहीं क्योंकि उनके कर्म बंधन अभी बाकी होते हैं। इसी तरह किसी की उम्र कम या ज्यादा होती है।
कुछ पुण्य आत्माएं केवल संसार के कल्याण के लिए धरती पर अवतरित होती हैं। उनके कोई कर्म बंधन नहीं होते या बहुत थोड़े से कर्म बंधन होते हैं। ऐसे में वह अपना, वह थोड़ा सा कर्म बंधन क्लियर करने आते हैं और पूरा होते ही शरीर त्याग कर देते हैं। तो हमें लगता है कि अच्छे लोग जल्दी चले जाते हैं।
आज भी अधिक उम्र वाले संत, महात्मा, महान और पूजनीय गुरु, सतगुरू, मार्गदर्शक के रूप में परमात्मा स्वयं दीर्घकाल काल तक लोगों का कल्याण करते हैं। इसके कई उदाहरण आज हम देख सकते हैं।