
इंसान की जिंदगी का मूल उद्देश्य है अपने स्वयं के मूल स्वरूप को जानना, उसमें स्थित-स्थिर होना और जन्म मृत्यु के चक्र से पार हो जाना।
इंसान की जिंदगी का मूल उद्देश्य है, हमारा शाश्वत घर यानी हमारी अजर-अमर, शाश्वत-अविनाशी शुद्ध अकंप चेतन अवस्था को, यानी अपने स्व-स्वरूप आत्मा को जानना, पाना।

और हमने उसे पाया हुआ ही है, हम वहीं हैं, बस उसके उपर जो अज्ञान के आवरण पड़े हैं। हमारा मूल उद्देश्य है उस अज्ञान आवरणों को हटाना।
इंसान की जिंदगी का मूल उद्देश्य उस घट-घटव्यापी और अपने भीतर के अनाम चेतन साक्षी राम को जानना है। राम व्यक्ति नहीं है, राम तत्व है। रोम रोम में रमने वाले निराकार ईश्वरी तत्व को राम कहते हैं। घट घट व्यापी चेतन सत्ता को कृष्ण कहते हैं। यह एक ही सत्ता के दो अलग नाम है। वहीं हमारे सदगुरु हैं वहीं हमारी आत्मा है और हमारा मूल उद्देश्य उस आत्मा को उस राम और कृष्ण को जानना है।
बाकी और भी उद्देश्य होते हैं लोगों के। जैसे धन-मान गाड़ी-बंगला नौकरी-छोकरी और भी बहुत कुछ, लेकिन हर मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य यही है कि बाकी सब उप उद्देश्यों के पहले अपने भीतर के, और सर्वव्यापी अनाम राम रुप को जानें, अंनत जन्मों की भटकन से बचें और मोक्ष की ओर बढ़े। क्योंकि उस स्वयं को जानने के काम के लिए मनुष्य शरीर यही एक साधन हैं, इस शरीर को गंवाने के बाद वह काम नहीं हो सकता।

मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य अपने मैं कौन हूं का पता लगाना है।
अपने सभी कर्म-बंधनो को खतम करना है।
उस अविनाशी घट-घटवासी का जो बोध कराते हैं उन सदगुरु महापुरुष के संपूर्ण समर्पण के साथ शरणं में जाना है।
सदगुरु, महापुरुषों के मार्गदर्शन में अपने भीतर के सभी भ्रमों को हटाना है।
भगवान अनाम हैं उनका जो बोध कराता है, ऐसे सदगुरु प्रदत्त नाम का जाप-सुमिरन करना है।

यह समस्त दृश्य संसार अज्ञान की एक रात्रि जैसा है। इसमें कुछ चुनिंदा लोगों को छोड़कर बाकी लगभग लोग अज्ञान की गहरी निंद्रा में सोये हुए हैं। तो हमारा मूल उद्देश्य इस अज्ञान की गहरी नींद से खुद जागना है और औरों को भी जगाने का पूरा पूरा प्रयास करना है।
धन्यवाद!