मन की शांति के लिए सत्संग जरूर सुने। सच कहें तो शांति तो हमारा स्वभाव ही है, बस इस पर विचारों और विकारों का परदा पड़ जाता है, जिससे शांति दिखाई नही पड़ती। जैसे ही हम सत्संग सुनते हैं, माया का आवरण हटते जाता है, और शांति का अनुभव होने लगता है।
सत्संग अध्यात्मिक मार्ग की पहली सीढ़ी है, जिसके बाद बाकी एक एक सीढ़ी हमें आत्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। और सत्संग को संतो ने साबुन की उपमा दी है, जिससे मन का मैल अर्थात् विकार दूर होने लगता है। आत्मा का पवित्र रूप दिखाई पड़ने लगता है, और अपनी वास्तविक शांति की गहन अवस्था का हमे अनुभव होने लगता है।
इसलिए सत्संग के प्रभाव से कोई कितना भी कुमार्ग गामी हो उसे सद्बुद्धि प्राप्त होती है। अहंकार मिटने लगता है और सेवा में मन लगने लगता है। प्रभु प्रेम और भक्ति की ओर वह अग्रसर होने लगता है, जिससे गुरु कृपा से वह अपने सद्चिदानंद रूप का अनुभव कर लेता है, और उसी शांत चित्त अवस्था में स्थिर हो जाता है। जिसे मुक्ति कहते हैं।