🟦सामान्य लोगों की तुलना में बुद्धिमान लोग अक्सर रहते हैं दुखी, इन 8 कारणों से वे खुशियों को कर लेते हैं खुद से दूर:-

बुद्धिमान लोग दूसरे लोगों की तुलना में अधिक उदास
वैसे तो खुशी हर किसी के हिस्से में होती है लेकिन कुछ लोग खुशी को अपने दरवाजे से ही लौटा देते हैं। ऐसे लोगों में अक्सर बुद्धिमान लोग देखे गये हैं, जिनके जीवन में खुशी से ज्यादा उदासी होती है। जी हां, ऐसा पाया गया है कि बुद्धिमान लोग दूसरे लोगों की तुलना में अधिक उदास रहते हैं। ऐसा क्यों होता है, चलिए जानते हैं –

हर चीज पर विश्लेषण बहुत अधिक करना –
बुद्धिमान लोगों को हर विषय पर बहुत अधिक सोचने की आदत होती हैं। उनमें ओवरथिंकिंग की प्रवृत्ति होती है। उन्हें जब कभी कोई फैसला लेना होता है, वे बहुत अधिक उसपर विचार करने लगते हैं और हर पहलुओं पर सोचने के बाद भी वो अपने फैसले से संतुष्ट नहीं होते। उनका ये स्वभाव, उन्हें परेशान ज्यादा करता है और उनसे खुशी का कारण छीन लेता है।

बहुत ही अधिक जागरुक होते हैं –
आपने सुना होगा कि ज्ञान और जागरुकता बहुत अधिक सवाल पैदा करता है और सवाल तकलीफ का कारण बनती है। यही चीज बुद्धिमान लोगों के साथ होती है। उनकी जागरुकता उनके मन में कई संशय पैदा करती है और वो किसी चीज से आसानी से संतुष्ट भी नहीं होते। इससे उनमें खीज, चिड़चिड़ापन और एंग्जायटी बढ़ती है और आनंद कोसों दूर रहता है।

उनका पैमाना बहुत उच्च रहता है –
वो लोग जो ज्यादा जानकार नहीं होते, वो फिर भी एडजस्ट कर लेते हैं, चाहे वो करियर हो, रिश्ता हो या कोई भी जरूरत्। लेकिन बुद्धिमान लोगों में एक अलग तरह का अहं का भाव रहता है और इस कारण उनके स्टेन्डर्ड बहुत ऊंचे होते हैं। वो कभी भी कम में खुश नहीं रह पाते और उन्हें हर चीज में क्वालिटी चाहिए होती है। इसलिए कई चीजों में उनका खुश रह पाना बहुत मुश्किल होता है।

बहुत ज्यादा खुद की आलोचना करते हैं –
बुद्धिमान लोग कभी भी खुद की सफलता या उपलब्धि से खुश नहीं होते। उन्हें जब तक कोई चीज परफेक्ट नजर नहीं आती, उन्हें तब तक खुद के कौशल पर भी शक रहता है। वे अपने काम में कमी को देखकर या तो खुद को ब्लेम करते रहते हैं, या गिल्ट में रहते हैं या फिर खुद से ही चिढ़े बैठे रहते हैं। ऐसे लोगों का खुश रहना कितना मुश्किल होता होगा, आप सोच ही सकते हैं।

सामाजिक दूरी बनाकर रहते हैं –
अक्सर बुद्धिमान लोग किसी भीड़ या ऐसे समूह का हिस्सा नहीं बनते जहां उनके मतलब की या उनके लेवल की बात ना हो रही हो। इसलिए ऐसे लोग अक्सर समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं और इस कारण वो डिप्रेशन, अकेलापन और अन्य मानसिक परेशानियों से जूझने लगते हैं।

खुशी की तलाश नहीं करते –
बुद्धिमान लोग खुशी से ज्यादा दूसरी चीजों को महत्व देते हैं। किसी भी चीज को आसानी से पाना उनके स्वभाव में नहीं होता और यही चीज वो खुशी के मामले में भी अपनाते हैं। अगर वो किसी चीज से संतुष्ट नहीं हैं, तो उन्हें लगता है कि वो खुशी डिजर्व ही नहीं करते।

खुद के प्रति बहुत सख्त होते हैं –
आपने अक्सर देखा होगा कि आपके आसपास अगर कोई बुद्धिमान व्यक्ति है, तो वह किसी न किसी छोटी-मोटी मानसिक समस्या से अवश्य जूझ रहा होगा और ऐसे लोगों के दिमाग खराब होने की संभावना भी बहुत अधिक रहती है। दरअसल, वो ना तो कोई सफलता आसानी से संभाल पाते हैं और ना ही नाकामयाबी को बर्दाश्त कर पाते हैं। वे जरूररत से ज्यादा अपने दिमाग पर जोर डालते हैं।

दिमाग को कभी आराम नहीं देते –
बुद्धिमान लोग कभी भी अपने सोच या कल्पना को आराम नहीं देते। वो लगातार किसी न किसी मुद्दे पर सोचते रहते हैं। उन्हें अपने दिमाग को थकाना पसंद होता है, ना कि आराम देना।

एक अर्थपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं
बुद्धिमान लोग बाकी लोगों की तुलना में एक अर्थपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं। उन्हें सहूलियत से मिली चीजें ना तो पसंद आती है और ना ही खुशी। अक्सर लोग थोड़ा कमाते हैं और बाकी जिंदगी चैन से गुजारना चाहते हैं। उन्हें औसत बने रहने में कोई परेशानी नहीं होती और ना ही रोजाना एक-जैसी दिनचर्या से। लेकिन एक बुद्धिमान व्यक्ति तब तक शांत बैठे नहीं रहते, जब तक उन्हें चुनौतियां दिख रही हों। चुनौतियां आपके जीवन में उत्साह ला सकती है लेकिन खुशी और चैन नहीं।
[8/2, 7:47 PM] Shubhangi – Pune Dixa: 🟦नींद में बोलने का अध्यात्म से भी है कनेक्शन, शायद इस समय आप अपने मृत परिजनों से संपर्क करने का प्रयास करते हैं:-

नींद में बोलने की समस्या
आपने कई जगह नींद में बोलने की समस्या के विषय में सुना होगा, यह वो स्थिति होती है जब व्यक्ति अपनी चेतना में नहीं होता लेकिन कुछ बड़बड़ा रहा होता है। वह नींद की अवस्था में क्या बोल रहा है, कभी-कभार यह बात क्लीयर हो जाती है तो कई बार यह समझ नहीं आता। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार नींद में बोलने जैसी बात किसी शारीरिक खतरे की बात तो नहीं कहती लेकिन मानसिक रूप से यह उस व्यक्ति की परेशानी तो जाहिर कर ही रही होती है।

क्या कहते हैं अध्ययन
विविध अध्ययनों की मानें तो नींद में व्यक्ति तीन गुणा ज्यादा निगेटिव बात करता है और 800 गुणा ज्यादा किसी दूसरे को भला-बुरा कह रहा होता है। यह समस्या उन लोगों को ज्यादा परेशान करती है जो पहले से ही किसी मानसिक समस्या का सामना कर रहे हैं।

क्या है आध्यात्मिक पक्ष
खैर यह तो हुई इसके मनोवैज्ञानिक पक्ष की बात, लेकिन आपको बता दें कि अध्यात्म की दुनिया में भी नींद में बोलने जैसी समस्या को कंसीडर किया गया है और यह माना गया है कि नींद में बोलने का संबंध आपके अवचेतन मन में चल रही बहुत सी बातों से है। नींद में बोलने की स्थिति मुख्यतौर पर आपके निजी जीवन को दर्शाती है। यह प्रेम, डर और भावनाओं को दबाने जैसी बात से भी जुड़ा है। आइए जानते हैं नींद में बोलने को अध्यात्म में किस तरह डील किया गया है।

शायद आप अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिये तैयार हैं
आप अपनी लाइफ में बहुत सी प्लानिंग कर चुके हैं लेकिन अभी तक यह नहीं पा रहे हैं कि उस पर आगे बढ़ा जाए या थोड़ा इंतजार किया जाए। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि नींद में बोलना इस बात को दर्शाता है कि आप अपने जीवन में जहां फंसे हुए हैं वहां से अब आगे निकलने का समय आ गया है। निकट भविष्य में आपको इससे संबंधित एक बहुत ही बेहतरीन अवसर मिलने जा रहा है।

आप अपनी भावनाओं को बाहर निकाल रहे हैं
जब आप नींद की अवस्था में होते हैं तब बहुत सी भावनाओं को, अपने भीतर चल रहे विचारों को आप बाहर नहीं निकाल पाते। आपको लगता है ऐसा करना आपको परेशानी में डाल सकता है या आप स्वयं को उसके लिये सहज महसूस नहीं कर रहे होते। लेकिन नींद के समय केवल आपका अवचेतन मन ही काम कर रहा होता है, ऐसे में आप उन सभी बातों को कहने का प्रयत्न करते हैं जिन्हें अभी तक आपने अपने भीतर रखा हुआ था।

मृत पूर्वजों से बात करना
ऐसा माना जाता है मृत पूर्वजों से संपर्क करने में एक अच्छी नींद का बड़ा योगदान होता है। यह वो समय होता है जब आप ब्रह्मांड के दूसरे आयाम तक अपनी पहुंच बनाने में सफल हो सकते हैं। अध्यात्म के नजरिये से देखा जाए तो इस समय आप किसी समस्या के समाधान हेतु या किसी सलाह के लिये अपने पूर्वजों से संपर्क साध सकते हैं।

इच्छाओं को ब्रह्माण्डीय शक्तियों तक पहुंचाने का समय
इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हम सभी में होती हैं। नींद की अवस्था में बात करने का अर्थ यह भी होता है कि आप अपनी उन इच्छाओं को पूरा करने में ब्रह्मांडीय शक्तियों के सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं। आप उन शक्तियों से यह कहना चाहते हैं कि वे जल्द ही उस इच्छा को पूरा करें जिसे वह काफी लंबे समय से अपने दिल में दबाए बैठे हैं। नींद के समय जो इच्छा या बात बाहर आती है वह आपके दिल के बहुत नजदीक होती है।

समानांतर ब्रह्मांड की यात्रा
विज्ञान और अध्यात्म दोनों में ही समानांतर ब्रह्मांड यानि पैरेलल यूनिवर्स की अवधारणा को स्वीकार किया गया है। इसका अर्थ है कि इस सृष्टि में हम अकेले नहीं हैं, हमारे जैसे और भी ब्रह्मांड हैं। नींद के समय आप उन पैरेलल यूनिवर्स की यात्रा भी कर सकते हैं। अगर आपकी आध्यात्मिक शक्ति मजबूत है तो ऐसा करना आपके लिये असंभव जैसी बात नहीं है।

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