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किन साँसों का मैं एतबार करू जो अंत में मेरा साथ छोड जाएगी..!!
किन रिश्तों का मैं यहाँ आज अभिमान करू जो रिश्ते शमशान में पहुँचकर सारे टूट जाएँगे.
किस धन का मैं अंहकार करू जो अंत में मेरे प्राणों को बचा ही रहीं पाएगा….
किस तन पे मैं अंहकार करू जो अंत में मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा..
जीवन की आधी उम्र तक पैसा कमाया,
पैसा कमाने मे इस शरीर को खराब किया।
बाकी आधी उम्र तक उसी पैसे को, शरीर ठीक करने मे लगाया।
न शरीर बचा, न पैसा ।
वाह री जिन्दगी श्मशान के बाहर लिखा था! मंजिल तो तेरी यही थी !
बस ज़िन्दगी गुजर गई आते आते क्या मिला तुझे इस दुनिया से अपनों ने ही जला दिया तुझे जाते जाते….
वाह री जिंदगी दौलत की भूख ऐसी लगी कि कमाने निकल गए !
जब दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए!
बच्चों के साथ रहने की फुरसत ना मिल सकी!
फुरसत मिली तो बच्चे कमाने निकल गए!
🙏 शालिनी शाही 🙏
सेल्फ अवकेनिंग मिशन 🙏

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