जन्नत की परवाह तो उन्हें होती है जिन्होंने देखी नही और रहा सवाल मेरा तो मेरी जन्नत गुरु से ही शुरू और गुरु पर ही खत्म होती है।
सब कुछ तुझको सौंप दिया “गुरु जी”, अब नही है… कुछ भी देने को।
दो आँसू आँख में… बचा रखे है, “गुरु जी” चरण कमल… धोने को तेरे…
किसी ने गुरूमहाराज जी से पूछा-” आपके पास जो आप के चरणों में रोते है तो आप क्या करते हो उनके आंसूओं का ?
गुरूमहाराज जी ने मुस्कराते हुए कहा-” मैं तो करूणा की सागर हूं उन आंसूओं की बूंद को खुशियों के मोती बना लौटा देती हूं”।


इसलिए अगर रोने का मन हो तो गुरूमहाराज जी के आगे रो लेना पर संसार के आगे कभी मत रोना ।हे प्रभु! मेरे तीन अपराधों को माफ़ करो यह जानते हुए भी कि तुम सर्वव्यापी हो, पर मैं तुम्हें हर जगह खोजती हूँ, यह मेरा पहला अपराध है…. तुम शब्दों से परे हो, पर मैं तुम्हें शब्दों से बांधती हूँ, एक नाम देती हूँ, यह मेरा दूसरा अपराध है…. तुम सर्वज्ञाता हो, फिर भी मैं तुम्हें अपनी इच्छाएं बताती हूँ, उन्हें पूरा करने को कहती हूँ, यह मेरा तीसरा अपराध है..!!


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2 comments on “Agya Chakra Par Guru Ka Dhyan Kyu karna Chahiye?

  1. Guru maharaj ki kripa aprampar hai. Guru Maharaj ji ne Sanjiv sir ko hamari life mein lae yeh bhaut badi kripa hai. Sir please aise hi likhte raha kariye. Thank you so much sir for charging our lives.

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