बीती हुई बातें भूतकाल है! भूतकाल यानी गया हुआ काल। अब उसे याद करने से क्या फायदा। बीती हुई बातें भूलने में ही हमारी भलाई है, क्योंकि बीती हुई बातें हमारा आज़ खराब करतीं हैं।

मनुष्य के हाथ में जो आज़ है, जो वर्तमान समय है, वह बीती बातें याद करने के लिए या एक-दूसरे को ताने मारने के लिए या किसी बात का अफसोस करने के लिए नहीं है। हां! बीती बातों से सीखना जरूरी है लेकिन उसमें ही अटकना नहीं।
पिछे जीवन में जो हुआ सो हुआ, अब जाग गए है और यही काफी है। क्योंकि समय बड़ा कीमती है, कल गया तो गया उस कल को याद कर करके आज़ ना चला जाएं इसके लिए जागना जरूरी है।

इसके लिए मोटीवेशन चाहिए। मोटिवेशनल लोगों के विडियोज़ देखना या उनके सेमिनार अटेंड करना इसके लिए बहुत फायदेमंद रहता है। क्योंकि वे लोग वर्तमान में जीतें है। ऐसे लोगों का कुछ पल का साथ हमारा पुरा जीवन बदल सकता है। क्योंकि मनुष्य को हमेशा अपने काम पर फ़ोकस करना और वर्तमान में जीना आवश्यक है। तभी वह आगे बढ़ पायेगा।

हमे भविष्य की चिंता भी नहीं करनी, और भूतकाल में भी नहीं जीना। हमे हमेशा वर्तमान में जीना है। बीती हुई बातें जो भी हों, हमारे जीवन से ज्यादा किंमती तो नहीं हो सकती।

पुरानी बातों का या भविष्य का बहुत ज्यादा चिंता करने वाला व्यक्ति बहुत ज्यादा टेंशन वाला होता है। ऐसा लगता है कि, सारे दुनिया की टेंशन्स ऐसे ही लोगों को होती है। जो वर्तमान में जीना जानता है वहीं ज्ञानी है, वहीं सच्चा समझदार और विवेकी है।

बीती बातों के लिए रोये नहीं, बीते कल के लिए अपना आज़ गंवाए नहीं। जब हम वर्तमान में जागें हुए होते हैं तो, हमारे आज़ के जागने के कारण हमारा भविष्य अपनी आप ही उज्ज्वल होता है।

बीती बातों को भूलाने के लिए दिन की शुरुआत सकारात्मक अफर्मेशन्स से करें।
आइने में अपनी आप को देखकर बोले कि, जो हुआ वह होना ही था।
जो हुआ अच्छा हुआ, भविष्य में मेरे साथ जो भी होगा, वह अच्छा ही होगा।
जो लोग मुझे छोड़कर चले गए या दिल दुखाकर चलें गए वह मेरे काबिल नहीं थे।
कुछ अच्छी और बेहतर चीजों को जीवन में भरने के लिए कुछ खराब और अनवांटेड चीजों को जाना होता है, या निकालना होता है।


हम घर की सफाई तो करते रहते हैं, कभी कभी मन की सफाई भी जरुरी है। ऐसा कहकर उन भीतर की चीजों निकालने का प्रयास करें।
जब भीतर सकारात्मक अफर्मेशन्स सकारात्मक चीजें भरना चालू करेंगे तो बीती हुई नकारात्मक बातों के लिए जगह नहीं बचेगी। समय के साथ निकल जाएगी वह बात।

मेडिटेशन करें। मेडिटेशन से मन शांत होता है। मेडिटेशन से अस्थिर और नश्वर मनुष्य देह की समझ आतीं हैं। भीतर का जीवन समझ आता है। भीतर का जीवन तो सदा आनंद और सच्चिदानंद है।

जब हम भीतर मुड़ते हैं तो सारा के सारा गेम चेंज हो जाता है। भीतर के जीवन के प्रति जैसे जैसे समझ विकसित होती है, उसने यह बोला, उसने वह बोला, या ऐसा या वैसा के लिए समय ही नहीं मिलता। तब यह सब बकवास और बचकानी हरकतें लगतीं हैं।

बाहरी राग और द्वेष, बाहरी हर एक चीज़ से बाहर निकलने के लिए हमारा भीतर मुड़ना आवश्यक है। जीवन में सच्ची सुंदरता और शांति भीतर मुड़ने के बाद ही आतीं हैं। गिले-शिकवे, नफा-नुकसान, नफरत यह सब बाहरी उपरी उपरी बातें हैं। और अध्यात्म ही इस तरह की समस्यायों स्थाई समाधान है।

आध्यात्मिक व्यक्ति निरहंकारी हो जाता है। क्योंकि कोई कुछ कहता है तो, ठेस तो अहंकार को ही पहुंचती है ना। तब किसी के कहने का इतना बुरा नहीं लगता। तब बातें भीतर जाती ही नहीं, तब भीतर केवल शांति और आनंद रहता है। जब मनुष्य को अनमोल मनुष्य जीवन और उसके कीमती समय का पता लग जाता है तो, ऐसे व्यर्थ की बातों के लिए समय कहा रहता है।

अपने को सकारात्मकता और सकारात्मक चीजों में इतना व्यस्त रखो की बीती बातों के लिए, बचकानी हरकतों के लिए समय ही न मिले।


धन्यवाद!

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