एक सच्चा आत्मज्ञानी नित्य जागा हुआ, अपने ही वीरागता की अनुभूति में रमने वाला, शांतमन व समाधानी, अपने मे ही पूर्ण होता है। उसे अपने खुशी के लिए किसी...
हां! दुनिया का हर सुख दुःख का पूर्वरूप है। और हर दुःख के पिछे सुख छिपा होता है। दुनिया में कोई भी सुख ऐसा नहीं है, जो दुःख से...
सतयुग यानी सत्यव्रता, सत्यवादी, देवताओं जैसे, ऋषि मुनियों जैसे तप और ध्यान-धारणा करने वाले ईमानदार, नेक, धर्म का पालन करने वाले, तपस्या करने वाले लोगों का युग। सतयुग के...
मन को शांत रखना अपने हाथ में है यदि आप समझदार हैं तो। समझदारी अर्थात ज्ञान होना कि सहीं क्या है और गलत क्या है। ज्ञानवान व्यक्ति कठिन से...
नहीं! नहीं कर सकते। गुरु के बिना हम अपने जीवन में पूर्ण की या पूर्णता की प्राप्ति नहीं कर सकते। जैसे सुर्य प्रकाश में अंधेरा भाग जाता है, ठीक...
आत्मा तो हमेशा होती है ना! आत्मा का अस्तित्व हमेशा होता है, चाहें गहरी निद्रा हों या शरीर की मृत्यु। गहरी निद्रा में आत्मा शरीर के भीतर ही रहतीं...
एक होता है बाह्य जगत और एक है अंतर जगत। वैसे देखा जाए तो यह दुआएं, बद्दुआएं अंतर जगत का ही एक विषय है। यह अदृश्य ऊर्जा सकारात्मकता या...
बोल बोल कर, सेल्फ टॉक के जरिए हम अपने अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग कर सकते हैं। सेल्फ टॉक यानी खुद से ही बातचीत करना। आइने में देखकर या दिन...
अच्छे लोगों की परीक्षाएं ली जाती है, उन्हें प्रतिकुल परिस्थितियां, थोड़ी बहुत दुःखदायक परिस्थितियां दि जाती है। यह देखने के लिए की वे सचमुच अच्छे हैं? क्योंकि जो सचमुच...
कुछ दुःख प्रसादी के रूप में आते है, कुछ दुःखों के कारण ही जीवन स्वर्ग जैसा सुंदर, पवित्र-पावन हो जाता है। और इसका एक सुंदर उदाहरण हमारी एक बहेन।...