रिजेक्शन का डर सभी को सताता है लेकिन इन तरीकों से आप खुद को उबार सकते हैं इस ट्रॉमा से:-

रिजेक्शन का डर सभी को सताता है
जीवन में सभी लोग कभी न कभी छोटे या बड़े रिजेक्शन का सामना जरूर करते हैं। कोई एग्जाम में रिजेक्ट हो जाता है, कोई लव लाईफ में, कोई करियर में, तो कोई मां-बाप की नजरों में। रिजेक्शन दो परिस्थितियों की वजह से आपके जीवन का हिस्सा बनती हैं। पहला, वो जिसमें आपको कोई दूसरा रिजेक्ट करता है, जबकि दूसरी परिस्थिति में आप अपनी नाकामियों से परेशान होकर खुद को रिजेक्ट कर देते हैं। रिजेक्शन की भावना एक छोटी सी निराशा बनकर नहीं रह जाती, बल्कि कई लोग तो इसे इतना सीरियसली ले लेते हैं कि या तो उनका जीवन रुक जाता है या फिर कई गंभीर परिस्थिति में तो वे अपना जीवन तक खत्म करने की बात सोचने लगते हैं।

रिजेक्शन का डर सभी को सताता है
हमारी भावनाएं इतनी जटिल और संवेदनशील है कि हम किसी भी कीमत पर इसपर चोट बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और यही कारण है कि रिजेक्शन सहना कई लोगों के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। अगर आपके जीवन में कभी ऐसे हालात आते हैं, तो आपको इन तरीकों से उससे डील करने के बारे में अवश्य सोचना चाहिए। तो, चलिए जानते हैं वो तरीके कौन-कौन से हैं –

इन तरीकों से आप खुद को उबार सकते हैं इस ट्रॉमा से

  1. रिजेक्शन से जूझ रहे लोग अक्सर ओवरथिंकिंग से जूझने लगते हैं। वो परिणाम और पूरी प्रक्रिया को बार-बार सोचते हैं, जिससे उन्हें और डर लगता है। उन्हें लगता है कि ये सब बहुत शर्मिदंगीभरा था और ये सब कभी ठीक नहीं होगा। आपको सबसे पहले तो ओवरथिंकिंग को बंद करना होगा। आप इतने कमजोर मत बनिये कि आपको अपनी भावनाओं से मुंह छुपाना पड़े क्योंकि आप खुद से कहीं भाग नहीं सकते। बेहतर है कि असफलता हो, शर्मिंदगी हो, दु:ख हो, निराशा हो या अफसोस हो, आपको अपनी सभी भावनाओं को मजबूती से स्वीकार करना चाहिए। 2. एक बार आप अपनी भावनाओं को स्वीकार कर लेंगे, तो उसपर काम करना आपके लिए आसान हो जायेगा। आप अपनी आधी लड़ाई वहीं जीत जायेंगे। आप ये सोच पायेंगे कि गलती कहां हुई है। अगर आपकी गलती नहीं हुई तो आप खुद को एक मौका देंगे और अगर सामने वाले की गलती है, तो आपको खुद को ये समझाने का मौका मिलेगा कि सामने वाले की नासामझी की सजा देना खुद को देना फिजूल है। आपको इस बात का प्रोत्साहन मिलेगा कि दूसरा रास्ता तलाश करना चाहिए।

इन तरीकों से आप खुद को उबार सकते हैं इस ट्रॉमा से

  1. रिजेक्शन एक बुरी और नकारात्मक भावना को जन्म देता है और यह आपपर हावी हो जाये, उससे पहले ही आपको सकरात्मकता की तरफ कदम उठा लेना चाहिए। आपको खुद को समझाना चाहिए कि ये बड़ी बात नहीं है, कम से कम इतनी बड़ी तो नहीं कि आपकी मन की शांति और आसपास के लोगों के जीवन को प्रभावित कर दे। खुद को ये कहकर यकीन दिलायेंगे कि आप इससे डील कर लेंगे। सकारात्मकता के लिए जरूरी है कि आप अपने मन को किसी दूसरे काम में उलझा के रखें जिससे आपको खुशी मिलती है या अपने पसंदीदा लोगों से बात करें जो आपको एक अच्छी जिंदगी का एहसास करायें। 4. कई लोग रिजेक्शन की भावना का इस्तेमाल खुद की तरक्की के लिए भी करते हैं। कई बार रिजेक्शन आपके अच्छे के लिए होते हैं, ताकि आपको अपने अंदर की कमियां दिख सकें और आप उसे बेहतर बना सकें। हां, इसके लिए ये बेहद जरूरी है कि आप रिजेक्शन को दिल से ना लगाएं और उसपर विचार करें। कई ऐसे उदाहरण है जहां लोग ऐसे ही रिजेक्शन के बाद कामयाब हुए हैं क्योंकि उन्होंने समय के साथ खुद को निखारा और बेहतर बनाया है।

ये बस एक छोटी सी रुकावट है
आपने सुना है ना कि गिरकर उठने वाले के लिए सफलता का स्तर काफी ऊपर होता है क्योंकि रिजेक्शन उसकी सफलता की पहली सीढ़ी होती है जिसे वह बेहद संभलकर और पूरी संभावनाओं के साथ चढ़ता है। रिजेक्शन हमेशा आपकी हार नहीं होती बल्कि ये बस एक छोटी सी रुकावट है, जिसे आप पार कर लेंगे, तो आपसे शायद कई नाकामयाबियों को पीछे छोड़ देंगे। ये सच है कि रिजेक्शन एक बहुत ही पेनफुल अनुभव होता है और इस फेज को पार करना इतना आसान नहीं होता लेकिन इस अनुभव को छोटा ही रखें। इसे एक काली लंबी रात नहीं बनने दें वर्ना एक सुनहरी सुबह का इंतजार बहुत लंबा हो जायेगा।

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