वैराग्य सारा सार विवेक से आयी हुईं एक अंतरिक मानसिक स्थिति एक अंतर्मुख अवस्था है। वैराग्य व्यक्ति का सद सद विवेक जागने पर उत्पन्न होता है। वैराग्य संसार की जीवन की क्षणभंगुरता नश्वरता समझ में आने के बाद अंतर में स्वत घटने वाली एक घटना है।
वैराग्य शांति का जन्म दाता है। संसार के दुःख कष्ट और मृत्यु की याद वैराग्य उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। संसार असत्य है दुःख दर्दों से भरा हुआ है। यहां की वास्तविकता यह है कि यहां केवल एक ईश्वर सत्य है। ऐसी और इस प्रकार के समझ की विकसित होने पर अंतर्मन में वैराग्य उत्पन्न होता है। जब नश्वरता का क्षणभंगुरता का अंतर्मन में पुरी तरह से एहसास हो जाता है तो वैराग्य उत्पन्न हो जाता है।