हे सब के पिता “परमेश्वर” हमेशा की तरह आज भी तेरे सामने तेरे सिर चरण कमलों में मेरी अर्जी है मैं जानती हूं, मुझे पूर्ण विश्वास है तूने मेरी हर प्रार्थना स्वीकार की है ।
तू तो सबकी पुकार सुनता है बस हमारा विश्वास कितना है यह हम पर निर्भर करता है। हे मेरे सतगुरु मेरी प्रार्थना स्वीकार कर आज मैं उन बेजुबानों के लिए तेरे दर पर आई हूं मैं चाहती हूं वो बेजुबान भी ध्यान करें। आज दुनिया कहां से कहां हो गई है। तूने इतने जो सुख सुख दिया आराम का प्रबंध किया,हम जगत के सभी प्राणियों के लिए कर दिए हैं तो तेरे लिए तो बस एक दृष्टि ही काफी है, इन बेजुबानों के ऊपर भी मेहरबानी कर मेरे “मालिक” ऐसी कोई तरकीब लगा इस घोर कलयुग में भी कुछ भी नामुमकिन नहीं है कुछ ऐसा इंतजाम कर…
हे! मेरे “सतगुरु”यह बेजुबान भी ध्यानी बने जिन्हें हम बड़े आम शब्दों में जानवर शब्द इस्तेमाल करते हैं पर कभी उनके गुणों को हमनेसकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की कोशिश नहीं की कुछही, प्राणियों ने उनके गुणों को देखा अधिकतर आत्माएं उनके अवगुणों को ही निहारा है क्या-क्या उनके साथ अत्याचार नहीं हुए हैं…. बेवजह उन्हें मारना पीटना उनके ऊपर चिल्लाना क्योंकि वह “बेजुबान” है.. हम कुछ भी उनके साथ कर सकते हैं। कभी उनकी आंखों में भी झांक कर देखो कभी उनसे उनके गुणों से कुछ सीखने की कोशिश करो कम से कम 2 गुण तो उनसे सीख लो हे जगत के प्राणी निस्वार्थ अपने मालिक से प्रेम। यही प्रेम हम अपने सतगुरु से करें तो सतगुरु हमें क्या से क्या बना कर रख देगा …इसका अंदाजा भी हम नहीं लगा सकते🤲🙏😊 यह बेजुबान एक रोटी की भी कीमत अपने प्रेम से मालिक को चुकता करता है और हम इंसान परमात्मा हमें क्या कुछ नहीं दिया है और बदले में हम उन्हें इल्जाम थोपने के अलावा तूने यह नहीं दिया तूने क्या-क्या नहीं दिया कभी शुक्रिया अदा करने की जगह सिर्फ शिकायत ही फरमाया है अपने परमात्मा के सामने अपनी कमियां गिनाए हैं हम कितने गुनाहगार हैं …..क्या कभी इस पर हे जगत के प्राणी तूने गौर फरमाया है…. हे परमपिता परमेश्वर मैं तेरे सामने उन बेजुबान जिन्हें हम इंसान जानवर नाम घोषित किया है मेरी “प्रार्थना” आज तुझसे उन बेजुबानों के वास्ते हैं… तू उन्हें अपने इंतजाम से कैसे भी करके ध्यानी बना ज्ञानी बना उनमें भी समझ होती है। मैंने यह महसूस किया है वह भी प्यार की भाषा समझते हैं तो फिर ध्यान क्यों नहीं कर सकते उन्हें भी तो ध्यानी बना अगर यह संभव नहीं है तो फिर उन्हें मुक्ति प्रदान कर और मनुष्य जीवन उन्हें दान कर सिर्फ मनुष्य जीवन ही नहीं, मनुष्य जीवन लेकर उन्हें ऐसा वर दे जो हुए ध्यानी और ज्ञानी और भक्ति मार्ग पर चलें । ऐसी आज तेरी श्री चरण कमलों में हमारी ओर से यह “प्रार्थना” है मेरी प्रार्थना स्वीकार कर मेरे मुर्शिद …
हे मेरे परमपिता “परमेश्वर”
हम जिन्हें जानवर बोलते हैं क्या उनसे वफादारी सीखी है हमने… हम तो अपने “सतगुरु” से लेन-देन का ही मामला करते हैं तूने जब हमें दिया तो तू बहुत बड़ा अच्छा तुझसा अच्छा हमें मिला कहां जब देने में कसर हो गई तुझसे बुरा दुनिया में कौन हम तो अपने गुरु को भी नहीं छोड़ते और यह बेजुबान अपने मालिक के कितने वफादार होते हैं सिर्फ उनके प्रेम और पेट की भूख के लिए एक रोटी के बदले वह प्रेम और वफादारी बड़ी श्रद्धा और इमानदारी से निभाते हैं यह दो गुण हम यह जानवर बेजुबान से सीख ले तो हमारे परम पिता परमेश्वर हम पर क्या-क्या लुटा दें इसका अंदाजा भी हमें नहीं है वाह वाह रे बेजुबान तूने हमें क्या-क्या सिखा दिया।
मैं जानती हूं तूने मेरी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली है, तेरा लख लख शुकराना मेरे सतगुरु मैं आपकी बहुत आभारी हूं ।🙇🏻♀️
शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मिशन