प्रेम क्या हैं, प्रेम कि परिभाषा क्या हैं यह जानने के लिए श्री राधे कृष्ण से बेहतर कोई नहीं कौन समझ सकते हैं…
प्रेम संसार का सबसे पवित्र बंधन है…
पर सच पूछो तो ये बंधन से ज्यादा मुक्ति है…
यदि कोई आपका प्रेम ठुकरा दे, यदि कोई आपका प्रेम समझ ही ना पाए तो, कुछ उदास हो जायेंगे
कुछ छल करके प्रेम पाना चाहेंगे तो कुछ बलपूर्वक प्रेम पर अधिकार करना चाहेंगे, लेकिन ये आवश्यक नहीं कि जिससे आप प्रेम करते हो उसे भी आपसे प्रेम हो…
प्रेम कोई वस्तु नहीं, ना ही धन जिसे आप बल से अपने वश में कर सको,
प्रेम वो शक्ति है जो आपके लिए हर बंधन तोड़ सकता है, लेकिन स्वयं किसी बंधन में नहीं होता, तो जिससे भी आप प्रेम करते हो उसे स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए…
क्योंकि स्वतंत्रता ही वो भाव है जो हर एक जीव को सबसे अधिक प्रिय है,
प्रेम सच्चा होगा तो उसे अवश्य समझ में आएगा , तब तक के लिए निस्वार्थ भाव से प्रेम कीजिये,
स्वार्थ हट जायेगा तो प्रेम आ ही जाएगा और मन प्रसन्न हो जाएगा…
. निर्णय आपका
स्वयं विचार करें

शालिनी साही 

सेल्फ अवेकनिंग मिशन

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