कर्मो के बोझ इतने अधिक हैं कि इनसे छुटकारा कैसे मिलेगा यह समझ नही आता, लेकिन ब्रह्मांड के पास हर सवाल का जवाब है और हर समस्या का समाधान भी। परमात्मा ने मानव जीवन में अनंत उपकार किए है, उसे अपने ही जैसा सामर्थ्यवान बनाया है, अपनी समस्त शक्तियां मानव के भीतर बीज रूप में डाल दी है। इसी प्रकार कर्मो के बोझ से छुटकारा पाने के रास्ते भी परमात्मा ने दिए हैं, क्योंकि परमात्मा की कृपा बिना यह संभव नहीं है।

कर्मों के बोझ से बाहर आने के लिए सतगुरु की शरण में आना अति आवश्यक है। बिना सतगुरु कृपा कर्मबन्धन नही काटे जा सकते, सतगुरू ही हमारे कर्मबंधन काटने का सामर्थ्य रखते हैं। गुरु कृपा से जन्मों जन्मों के कर्म पल भर में ही मिट जाते हैं। गुरु द्वारा दिए गए नाम के सिमरन से समस्त कर्म कटने लगते हैं। गुरु की सेवा और गुरु की आज्ञा में रहने से कर्मबंधन से जीव असानी से मुक्त हो जाता है।

इसके साथ ही अपने मन, वचन, कर्म, वाणी, तन, मन और धन से पवित्र आचरण करते हुए हम अपना हर कर्म जब परमात्मा को समर्पित करते हैं तो परमात्मा हमे उसके फल से मुक्त कर देते हैं। अर्थात् परमात्मा की शरण में या गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से जीवन जीना भी कर्मों से मुक्ति दिला देता है।

साथ ही दान, पुण्य, सेवा, जप, तप, साधना, सत्कर्मों और अपने पापों के क्षमा मांगने से भी कर्मों से छुटकारा मिलता है। प्रेम और भक्ति मय जीवन भी हमारे अहंकार को मिटा देता है जिससे हम कर्मों से मुक्त हो जाते हैं।

इसके अलावा साक्षी भाव में जीना अर्थात् खुद को अकर्ता मानकर बस हो रही घटनाओं को साक्षी भाव से देखा और उससे तटस्थ रहना, इससे हम किसी कर्मबंधन में नही पड़ते और ना ही उसके फल हमे भुगतने पड़ते हैं।

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