अवश्य कट जाते हैं चाहे हमसे कितनी भी जघन्य भूल हुई हो पर ध्यान रहे वास्तविक भक्ति की पूर्णता आत्म ज्ञान की प्राप्ति से होती है इसके अनेक उदाहरण मिल जाते हैं।वाल्मीकि पूर्व में रत्नाकर डाकू थे ,बुद्ध के समय में अंगुलिमाल जो अत्यंत क्रूर था और अजामिल ऐसे कुछ उदाहरण हैं।भगवान परम दयालु हैं उनकी शरण में जाते ही वे हमारे समस्त अपराध क्षमा कर देते हैं।”सनमुख होय जीव मोहि जब ही,जन्म कोटि अघनसहुं तब ही”।

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