लोग कहते है बिना गुरु ज्ञान प्राप्त नहीं होता?

हां जी बिल्कुल! बिना सदगुरु आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। जीवन में मनुष्यों को हर जगह गुरु चाहिए। जीवन में अगर भौतिक शिक्षा, भौतिक सफलता भी ग्रहण करनी हो तो उसे भी गुरु चाहिए और अध्यात्मिक सफलता, आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए तो जीवन में एक पुर्ण सदगुरु का होना अनिवार्य है।
मनुष्य ने चाहे कितनी भी किताबें पढ़ी हो, बिना सदगुरु के उसे आत्मज्ञान नहीं होता। समझ होती है, पर अनुभव नहीं होता।

बहुतसा ज्ञान किताबों और युटुब विडियोज़ से मिल जाता है, पर किताबी ज्ञान सब आधा अधूरा है। उससे अनुभूति नहीं होती। अनुभव चाहिए न!

भौतिक जगत हो या अध्यात्मिक, उस ज्ञान का अनुभव तो चाहिए। और अनुभव देना भौतिक जगत में गुरु का और अध्यात्मिक जगत में सदगुरु का काम है। जिसमे अनुभूति हो वही सच्चा ज्ञान।

और ऐसे किताबी आधे अधूरे ज्ञान से मनुष्य को मोक्ष नहीं मिलता, ना भौतिक सफलता मिलती है।

सदगुरु के बिना पुर्ण ज्ञान मिलना असंभव है। मनमानी व्यवहार से, आधे-अधूरे ज्ञान से मनुष्य भटक सकता है, भटकता ही है। भीतर का अज्ञान अंधेरा पुरी तरह से हटाने के लिए मनुष्य को एक पुर्ण सदगुरु की आवश्यकता होती है।
किताबों से ज्ञान मिलता है, पर किताबें भटकाती भी है। किताबों में हजार लोगों की हजार अलग-अलग बातें होती है। मनुष्य जीवन को केवल सदगुरु ही सही दिशा दे सकते हैं।

अतः ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को गुरु के पास और आत्मज्ञान की इच्छा रखने वालों को सदगुरु के पास जाना ही होगा।
सदगुरु के बिना कोई भी आज़ तक माया के भवसागर से न पार हुआ है न होगा। तो लोग सही कहते हैं कि गुरु के बिना पुर्ण ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती।
धन्यवाद!

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