
मन के विचारों पर नियंत्रण नही रहता, यह सबकी बड़ी समस्या है। सब मन से परेशान रहते हैं, और इसे शांत करने के उपाय ढूंढते रहते हैं। मन विचारों का प्रवाह ही है, जो कभी शांत नहीं रहता। अस्थिर मन को शांत करना बहुत मुश्किल होता है।
मन सरोवर के जल में उठी लहरों के समान है, जब ये शांत हो जाएं तो जल स्वच्छ और शांत दिखाई देता है। और ये लहरें विकारों के कारण ही पैदा होती है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे विकार मन को अशांत कर देते हैं। इच्छाओं की पूर्ति के लिए जीव भागता रहता है और एक इच्छा की पूर्ति के बाद फिर दूसरी इच्छा पैदा हो जाती है। इसलिए मन शांत नहीं रहता।
हम अपने विचारों पर इसलिए भी नियंत्रण नही रख पाते क्योंकि हम संयम नही साधते, जीवन में जब तक संयम ना हो, मन शांत नहीं हो सकता। मन को साधने के लिए संयमित दिनचर्या और जीवन शैली होना आवश्यक है। नियमित दिनचर्या और अचार–विचार, आहार–व्यवहार और नियम–संयम से ही मन पर काबू किया जा सकता है।

मन को शांत करने के लिए इसे तटस्थ होकर देखना पड़ता है कि ये मैं नहीं, मन है, जो अपने अनुसार मुझे चलाना चाहता है। थोड़ी देर भी इस पर ध्यान देने से यह शांत होने लगता है। पर हम इसी विचार के पीछे पड़ जाते हैं कि इसे शांत रखना है, इसलिए यह और अशांत हो जाता है।
हम विचारों पर कभी ध्यान भी नही देते और मन हमे अपने अनुसार नचाते रहता है। इसे ध्यान द्वारा नियंत्रित करने का प्रयास करें। हमेशा आती–जाती स्वासों पर ध्यान देने की कोशिश करें। इससे मन ठहर जाता है।

अगर आपको उत्तर पसंद आया हो तो कृपया अपवोट अवश्य करें
Sanjiv Malik
Life Coach, Motivational Speaker, writer, Spiritual Advisior & Hypnotherapist.