मृत्यु क्यों एकमात्र अटल सत्य है?

शरीर की मृत्यु निश्चित है, शरीर की मृत्यु एक अटल सत्य है पर आत्मा की नहीं। शरीर नश्वर है और आत्मा अमर वस्तु है।

जीवात्मा अपनी वासना पुर्ती हेतु हर जन्म में अलग-अलग ऐसे अनेकों शरीर धारण करता है, और छोड़ता है। परंतु जीवात्मा कभी नष्ट नहीं होता। इसलिए शरीर की मृत्यु निश्चित है, केवल शरीर नष्ट होता है। शरीर की मृत्यु एक अटल सत्य है पर आत्मा की नहीं।

आत्मा शरीर को अपने रहने के घर जैसा, अपने निवास के लिए इस्तेमाल करता रहता है। जैसे किराये का घर हम बदली करते हैं, ठीक वैसे ही कभी यहां तो कभी वहां ऐसे आत्मा शरीर बदलती रहती है। तो शरीर की मृत्यु एक अटल सत्य है लेकिन आत्मा की नहीं।

जब यह आत्मा पुराने शरीर को छोड़कर नया शरीर धारण करती है, तो उसके पुराने शरीर को मृत घोषित किया जाता है। उसे दफनाया या जलाया जाता है। तो उसके शरीर की मृत्यु निश्चित है, शरीर की मृत्यु एक अटल सत्य है लेकिन आत्मा की नहीं।

आत्मा दुबारा जन्म लेती है, तब उसका शरीर बदली होता है, आत्मा नहीं बदलतीं। शरीर के मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को देखती है, शरीर आत्मा को नहीं देखता। तों उसके शरीर की मृत्यू एक अटल सत्य है आत्मा कभी नहीं मरती।
धन्यवाद!

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