

https://youtu.be/CxS1FWoQAOg
आज हर किसी को ध्यान (मेडिटेशन) की जरूरत है। बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए माता-पिता की आत्मा रूपी बैटरी पूरी तरह चार्ज होनी चाहिए। यह बच्चों के नजदीक बैठने से या उनके साथ ज्यादा वक्त बिताने भर से नहीं हो जाएगा। आप दूर बैठकर भी अपनी बैटरी चार्ज करके उनको वो शक्ति दे सकते हैं। कभी भी मन ये बहाना न बनाए कि मुझे घर पर ध्यान रखना है, बच्चों का ध्यान रखना है, मेरे पास मेडिटेशन करने का वक्त नहीं है। ध्यान तो रखना है, लेकिन सबसे पहले उनके मन का ध्यान रखना है।
आजकल घरों में इतना कुछ हो रहा है कि परिवार वाले डॉक्टर के पास पहुंच जाते हैं और कहते हैं मेरा सारा पैसा ले लो, पर बच्चे का दिमाग ठीक कर दो। डॉक्टर कहेगा कि ये काम पैसों से नहीं होता है। आज बच्चों के अंदर जितना तनाव और चिंता है, उसका मूल कारण घर का वातावरण है और कोई कारण नहीं है। आप कितने भी बहाने देते रहो कि प्रतिस्पर्धा है स्कूल में। जबकि सच ये है कि पहले प्रेशर ज्यादा था अब कम है। पहले साधन नहीं थे अभी कितने साधन हैं। पहले हमने अगर क्लास में सुन लिया तो सुन लिया, मिस हो गया तो मिस हो गया।
आत्मा की एकाग्रता देने की शक्ति घटती जा रही है। जो अव्वल आ रहे हैं, वो भी ट्यूशन ले रहे हैं। और ऐसे कर के हम उनको अच्छे खासे पैसे भी तो भेज देंगे, लेकिन आत्मा के लिए क्या करेंगे फिर ? 🤷🏻♂️
इसलिए अपने आपको यह कभी भी नहीं कहना कि हमारे पास समय नहीं। मुझे अपने बच्चों का ध्यान खुद रखने हैं , फिर उसके बाद बच्चों के बच्चे का ध्यान रखना है। यह रखना सिलसिला चलता रहेगा। इसका कोई अंत ही नहीं है।लेकिन ऐसे करते-करते आत्मा शरीर छोड़कर खुद बच्चा बन जाएंगे। क्या लेकर जाएंगे अपने साथ ?
आप शक्ति अगर थोड़ा-सा समय निकालकर शक्ति न कमाएं तो बच्चे का अपने शक्ति कैसे देंगे ?तो अब ये बहाना न बनाएं कि हमारे पास समय नहीं है। बच्चों के साथ हम व और बहुत समय बिता सकते हैं, साधन भी सारे दे सकते हैं , शक्ति खुद कमाए बिना नहीं दे सकते हैं। जब हो कि आप अभी देखेंगे तो आपको लगेगा सब तो ठीक है। एक प्रेशर दिन वो चेंज होता है सबकुछ। इसलिए कुछ भी होने से कितने पहले अपने घर के वातावरण को बदलिए।
पहले लोग कहते थे ऑफिस में बड़ा तनाव आता है, घर आकर सब ठीक हो जाता है। अब तो पता नहीं चलता उनको कौन-सा तनाव ज्यादा है। घर वाला या ऑफिस वाला?..
https://youtu.be/M_OEUINOGQw
ज्ञान हमें यह नहीं सिखाता कि हम किसी से दूर हो जाएं। आध्यात्मिक ज्ञान हमें यह सिखाता है खुद के अंदर शक्ति भरके वो शक्ति औरों को कैसे दें। आज अगर आप मेहनत करके धन न कमाएं तो परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे? इसी तरह थोड़ा-सा समय निकालकर शक्ति न कमाएं तो शक्ति अपने बच्चों को कैसे देंगे ?🤷♀️
हमारा जीवन हमारे छोटे छोटे विचारों से मिलकर बना हुआ एक बड़ा स्वरूप है चाहे आंतरिक स्तर पर हमारे अनुभवों की बात करें या फिर बाहरी स्तर पर हमारी प्रगति और उपलब्धियों की यह सभी कुछ हमारे विचारों पर आधारित है यह कहा जा सकता है कि जीवन में घटित होने वाली प्रत्येक घटना संस्कार और हमारी इस जीवन के बाद की स्थितियों का आधार भी हमारे विचार ही हैं अगर व्यक्ति को सबसे अधिक किसी दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है तो वह भी उसके विचार ही हैं और वास्तविक अध्यात्म भी यही है कि व्यक्ति अपने विचारों को ठीक कर ले और अगर यह हो जाता है तो उसके जीवन की दिशा ठीक हो जाएगी और जीवन में घटित होने वाली प्रत्येक स्थिति भी पूर्ण रूप से बदल जाएगी, इस मार्गदर्शन के माध्यम से विचारों के महत्व के बारे में आपका ध्यान आकर्षित कराया गया है एकाग्रता पूर्वक इस विषय को समझें और जीवन में धारण करें…
शालिनी साही
सेल्फ अवेकनिंग मीशन